पीएम मोदी की कुवैत यात्रा, जानें यात्रा में क्या है खास…

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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ( MODI) आज से दो दिवसीय की कुवैत यात्रा ( KUWAIT TOUR )पर जा रहे हैं. इंदिरा गाँधी के जाने के चार दशक बाद पीएम मोदी की पहली कुवैत यात्रा है. भारत की ओर से आखिरी बार किसी प्रधानमंत्री का कुवैत दौरा 43 साल पहले हुआ था. साल 1981 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कुवैत यात्रा की थी, जबकि तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 2009 में गये थे. कहा जा रहा है कि, पीएम मोदी की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने में मदद मिलेगी.

अलग- अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे मोदी….

कहा जा रहा है कि पीएम मोदी कुवैत के नेताओं के साथ चर्चा और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे. इससे पहले 1981 में इंदिरा गाँधी ने कुवैत का दौरा किया था. भारत- कुवैत शीर्ष व्यापारिक साझेदारी में से एक है और कुवैत में भारतीय समुदाय एक बड़ा प्रवासी समुदाय है. कुवैत भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है.

कुवैत के निमंत्रण पर जा रहे मोदी…

कहा जा रहा है कि, अमीर- शेख – मशाल -अल -अहमद -अल -जबर -अल -सबाह के निमंत्रण पर पीएम कुवैत जा रहे हैं. मोदी कुवैत प्रिंस और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे. बताया जा रहा है कि- दोनों देशों की व्यापार,निवेश, ऊर्जा,संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में संबंधों की समीक्षा करेंगे. कहा जा रहा है कि, वह एक श्रमिक शिविर का भी दौरा करेंगे. साथ ही गल्फ फुटबाल टूर्नामेंट के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे.

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मध्य पूर्व में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी

भारत के मध्य पूर्व के साथ रिश्ते मज़बूत करने के पीछे एक बड़ा कारण इस क्षेत्र के देशों में रह रही बड़ी भारतीय आबादी भी है. कुवैत में क़रीब दस लाख भारतीय रहते हैं, जबकि संयुक्त अरब अमीरात में क़रीब पैंतीस लाख और सऊदी अरब में क़रीब छब्बीस लाख भारतीय हैं. मध्य पूर्व में रहने वाले भारतीय बड़ी राशि भारत भेजते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आबादी को अपने साथ जोड़ने के प्रयास किया है. कुवैत में रहने वाले भारतीय सालाना क़रीब 4.7 अरब डॉलर भारत भेजते हैं. विदेश में रहने वाले भारतीय जो पैसे भारत भेजते हैं, ये राशि उसकी 6.7 फ़ीसदी है.

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भारत की ईंधन ज़रूरतें…

भारत अपनी ईंधन ज़रूरतें पूरी करने के लिए अरब देशों पर निर्भर है. भारत ने ऊर्जा ज़रूरतों को सुरक्षित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत और क़तर के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है. कुवैत ही भारत की क़रीब तीन प्रतिशत तेल ज़रूरत को पूरा करता है. भारत ने भले ही रूस से अधिक तेल ख़रीदा हो लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि भारत मध्य पूर्व पर निर्भर रहेगा.

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