पितृपक्ष की आज से शुरूआत, जानें तिथियां और पूजन की सही विधि….

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आज से पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है, पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में लोग तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए लोग भोजन, जल और ब्राह्मणों को खाना देते हैं. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं. यह भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है, इस साल 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पितृपक्ष चलेगा. पितृपक्ष के दौरान शुभ व मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, सगाई, घर में प्रवेश करना, मुंडन करना या कुछ नया खरीदना भी वर्जित रहते है. इसमें केवल पितरों का श्राद्ध किए जाने की परंपरा है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध तिथि अनुसार ही किया जाता है. आइए आपको भादो पूर्णिमा के पहले श्राद्ध से लेकर सबसे अंतिम सर्वपितृ अमावस्या की तारीखें बताते हैं.

जानें क्या है पितृपक्ष की तिथियां ?

मंगलवार, 17 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
बुधवार, 18 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
गुरुवार, 19 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
शुक्रवार, 20 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
शनिवार, 21 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
रविवार, 22 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
सोमवार, 23 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध
मंगलवार, 24 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
बुधवार, 25 सितंबर, नवमी श्राद्ध
गुरुवार, 26 सितंबर- दशमी श्राद्ध
शुक्रवार, 27 सितंबर- एकादशी श्राद्ध
शनिवार, 29 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
रविवार, 30 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
सोमवार, 1 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध
मंलगवार, 2 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

पितृपक्ष अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त

कुतुप मुहूर्त- 18 सितंबर यानी कल सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 28 मिनट से 3 बजकर 55 मिनट तक

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जानें किस समय करना है श्राद्धकर्म ?

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितृपक्ष में देवताओं को सुबह और शाम पूजा जाती है, जबकि दोपहर के समय में भोजन पितरो को समर्पित किया जाता है. पितरों को दोपहर के समय श्राद्ध करना सबसे अच्छा है. किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद पितृपक्ष में श्राद्धकर्म कर सकते हैं. इसके लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छे हैं. इस दौरान अपने पिता को अर्पित करें, गरीब ब्राह्मणों को भोजन प्रदान करें। उन्हें दक्षिणा दीजिए. श्राद्ध के दिन किसी भी जानवर (कौवे, चींटी, गाय, कुत्ता) को भोजन दें.

 

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