तीर्थ हमारी सम्पत्ति हैं, इनके मूल रूप में नहीं होनी चहिए कोई विकृति- अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
चमोली: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जी महाराज ने चमोली मंगलम् यात्रा के चौथे दिन बदरीनाथ धाम में प्रवास पर रहे भगवद्भक्तों आशीर्वाद प्राप्त किया. इस दौरान शंकराचार्य जी महाराज ने उपदेश देते हुए कहा कि हमारी विरासत और हमारी संस्कृति की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य होना चाहिए और इसके साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.
मर्यादा रखते हुए होने चाहिए विकास कार्य…
बदरीनाथ धाम के यात्रा के दौरान मास्टर प्लान के विषय में पूछने पर शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि बदरीनाथ धाम में भगवान साक्षात विराजमान रहते हैं. जो भी विकास कार्य हो उससे किसी भी तीर्थ , मन्दिर और परम्पराओं को कोई क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए. कूर्म धारा और प्रह्लाद धारा की दयनीय स्थिति को लेकर उन्होंने चिन्ता व्यक्त की. कहा कि इन धाराओं के माध्यम से भगवान बदरीविशाल का सीधा आशीर्वाद भक्तों को मिलता था , ये धाराएं रुकी रहेंगी तो भगवान का आशीर्वाद हमें कैसे मिलेगा ? अपने कल्याण के लिए प्रशासन और सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देकर इन धाराओं को निर्बाध रूप से बहने देना चाहिए.
शंकराचार्य जी महाराज ने इन मंदिरों का किया दर्शन…
बदरीनाथ धाम से प्रस्थान करते हुए शंकराचार्य जी महाराज ने एकादशी गुफा में पूजा की, हनुमान चट्टी में हनुमान जी की आरती , पाण्डुकेश्वर स्थित श्री योग-ध्यान बदरी भगवान की पूजा अर्चना , विष्णुप्रयाग में गंगा पूजन , देव दर्शन करने के बाद नृसिंह मन्दिर परिसर में सभी देवी-देवताओं की पूजा अर्चना ज्योतिर्मठ पधारे जहां पर उपस्थित भक्तों ने स्वागत किया.
आज के कार्यक्रम…
बता दें कि आज ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी तिथि के अवसर परअखिलकोटि ब्रह्माण्ड नायिका राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी भगवती श्रीदेवी जी का पाटोत्सव मनाया जाएगा, श्रृंगार, विशाल भण्डारा और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे. वहीं इस अवसर पर शंकराचार्य जी महाराज इन कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे.कहा जा रहा है कि इस दौरान भगवती के चरणों में गढवाल की लोक गायिका पूनम सती जी भजन प्रस्तुत करेंगी साथ ही अनेकों प्रस्तुतियां भी समर्पित की जाएंगी.
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सायं काल 5 बजे से पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘1008’ जी महाराज भगवद्भक्तों को शुभाशीर्वाद प्रदान करेंगे.
कार्यक्रम में सर्वश्री ब्रह्मचारी शारदानन्द जी, ब्रह्मचारी सहजानन्द जी, विष्णुप्रियानन्द जी, कुशलानन्द बहुगुणा, महिमानन्द उनियाल, जगदीश उनियाल, केशवानन्द ब्रह्मचारी, चतुर्भुजाचार्य , मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी आदि उपस्थित रहे.