भाजपा में आए बाहरियों को जनता ने नकारा…
-कांग्रेस, सपा, बसपा, आप से आए नेताओं का कार्यकर्ताओं ने नहीं दिया साथ
18वीं लोकसभा चुनाव ने भाजपा को बड़ी सीख दी है. बाहरियों को जनता ने नकार दिया है. इसकी बड़ी वजह भाजपा के कार्यकर्ता हैं जिन्होंने उनका साथ नहीं दिया. यूं समझें कि निर्दल प्रत्याशी के तौर पर वे चुनाव लड़े. परिणाम अधिकांश को हार के रूप में देखना पड़ा.पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर से कृपाशंकर सिंह चुनाव लड़े परन्तु उन्हें सपा के बाबू सिंह कुशवाहा के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा. कृपाशंकर सिंह के राजनीतिक जीवन का अधिकांश हिस्सा कांग्रेस में बीता था. वे महाराष्ट के गृहराज्य मंत्री भी रह चुके हैं परन्तु चुनाव के पहले वे भाजपा में शामिल हो गये थे.
इन बाहरी नेताओं ने डुबायी भाजपा की नाव
इसी तरह बलिया से नीरज शेखर इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गये. पहले वे सपा में थे. उनके पिता स्व. चंद्रशेखर प्रधानमंत्री रह चुके हैं. वे समाजवादी जनता पार्टी के अध्यक्ष थे. 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो जनता पार्टी के अध्यक्ष थे. बीजेपी ने सिटिंग एमपी वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट कर नीरज शेखर को टिकट दिया था. बसपा से भाजपा में आये रितेश पांडेय को भाजपा ने अम्बेडकर नगर से टिकट दिया था परन्तु वे चुनाव हार गये.
अन्य राज्यों की बात करें तो पंजाब में कांग्रेस छोड़ तीन बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था. पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को भाजपा ने पटियाला सीट से टिकट दिया परन्तु वे चुनाव हार गयीं. पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू भी लुधियाना सीट से चुनाव हार गये. जालंधर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुशील कुमार रिंकू भी चुनाव हार गये.
इसी तरह हरियाणा में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आये अशोक तंवर व रणजीत सिंह चौटाला को हार का सामना करना पड़ा. दोनों क्रमश: सिरसा व हिसार से खड़े थे. राजस्थान में डा. ज्योति मिर्धा व महेंद्रजीत मालवीय कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये थे. इन्हें क्रमश: नागौर व बांसवाड़ा से भाजपा ने टिकट दिया था परन्तु दोनों चुनाव हार गये. प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आये तापस राय को भाजपा ने कोलकाता उत्तरी सीट से टिकट दिया परन्तु वे चुनाव हार गये. इसी तरह अर्जुन सिंह बैरकपुर से चुनाव हार गये.
पूर्वोतर व दक्षिण में भी भाजपा का रहा यही हाल
असम में कांग्रेस से भाजपा में आये सुरेश वोरा को नगांव से टिकट मिला परन्तु वे चुनाव हार गये.केरल की कन्नूर सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आये सी रघुनाथ को टिकट दिया, परन्तु वे चुनाव हार गये.यही हाल आंध्र, झारखंड और तेलंगाना में भी भाजपा में अन्य दलों से आये नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. तेलंगाना में केसीआर से भाजपा में आये बीबी पाटिल, जहीराबाद सीट से हार गये. भारत प्रसाद पोयगंती नागर कुरनुल सीट से हारे.
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ए सीताराम नाइक महबूबाबाद से साईदी रेड्डी नलगोंडा सीट से हार गये. अरूरी रमेश वारंगल सीट से हारे. झारखंड में जेएमएम छोड़ भाजपा में आयी सीता सोरेन दुमका से चुनाव हार गयीं. वहीं, कांग्रेस छोड़के भाजपा में आयीं गीता कोड़ा सिंह भूमि से चुनाव हार गयीं. आन्ध्र प्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में आये किरण कुमार रेड्डी राजमपेट सीट से चुनाव हार गये परन्तु कुछ ऐसे नेता भी हैं जिनकी भाजपा में इन्द्री शुम रही. कुरूक्षेत्र से नवीन जिंदल, पीलीभीत से जतिन प्रसाद चुनाव जीत गये. छत्तीसगढ़ के सरगुतजा से चिंतामणि महाराज ने जीत दर्ज की. बीजद से भाजपा में आये मतृहरि महताब उड़ीसा की कटक सीट से चुनाव जीत गये. बीआरएस से भाजपा में आये गोडम नागेश तेलंगाना की आदिलाबाद सीट से चुनाव जीत गये. यूपी के अमरोहा में दानिश अली को हार का सामना करना पड़ा. वे बसपा से कांग्रेस में आये थे.