गेल के तत्वावधान में आयोजित हुआ कार्यक्रम, असम की संस्कृति से रूबरू हुए लखनऊ वासी
यूपी की राजधानी लखनऊ के आशियाना स्थित कैलाश ऑडिटोरियम में मंगलवार को गेल (GAIL) के तत्वाधान में ग्लोबल नॉर्थ ईस्ट सस्टेनेबिलिटी इंडियन समिट का आयोजन हुआ. जिसमें मुख्य रुप से असम प्रान्त की संस्कृति, परिधान, कृषि परिवेश आदि को प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान एवं गणेश वंदना से की गई. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर प्रवीण अवस्थी (प्रतिनिधि, केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर) उपस्थित रहे.
इस दौरान प्रवीण अवस्थी ने कहा कि पुराने समय का प्राग्ज्योतिषपुर आज असम के नाम से जाना जाता है. वहीं, असम पूर्व की ज्योति के नाम से विख्यात है. दूसरी तरफ यह प्रदेश वन प्रदेशों, नदियों, झरनों और सुंदर पर्वतमालाओं से भरा हुआ है. यहां जितनी सुंदरता है, अब उतनी सुंदरता से इसे संवारने का कार्य मौजूदा केंद्र सरकार कर रही है. अभी हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम को कई सौगातें सौंपी हैं. जिनमें से धुबरी फूलबारी पुल, बहुस्तरीय कैंसर अस्पताल, अमृत सरोवर आदि प्रमुख हैं. वहीं, असम में वह सभी संभावनाएं मौजूद हैं, जो एक दिन देश के विकास का इंजन बन सकता है. इस वजह से यहां सरकार ने अपना ध्यान अधिक आकृष्ठ किया हुआ है.
जाने असम के बारे में
असम, उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है जोकि अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है. सम्पूर्ण राज्य का क्षेत्रफल 78,466 वर्ग किमी है. भारत-भूटान तथा भारत-बांग्लादेश की सीमा असम से कुछ भागों में जुड़ी हैं. इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम, मेघालय तथा त्रिपुरा एवं पश्चिम में पश्चिम बंगाल स्थित है.
सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘वो भूमि जो समतल नहीं है.’ कुछ लोगों की मान्यता है कि ‘आसाम’ संस्कृत के शब्द ‘अस्म’ अथवा ‘असमा’ से लिया है, जिसका अर्थ असमान है. कुछ विद्वानों का मानना है कि ‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय. आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियाँ प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया. इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परम्परा रही है. कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति ‘अहोम’ (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं.
असम एक कृषिप्रधान राज्य है. साल 1970-71 में कुल (मिजोरमयुक्त) लगभग 25,50,000 हेक्टेयर भूमि (कुल क्षेत्रफल का लगभग 1/3) कृषिकार्य कुल भूमि का 90 प्रतिशत मैदानी भाग में है. धान (1971) कुल भूमि (कृषियोग्य) के 72 प्रतिशत क्षेत्र में पैदा किया जाता है (20,00,000 हेक्टेयर) तथा उत्पादन 20,16,000 टन होता है. अन्य फसलें (क्षेत्रफल 1,000 हेक्टेयर में) इस प्रकार हैं गेहूँ 21, दालें 79, सरसों तथा अन्य तिलहन 139. कुल कृषिभूमि का 77 प्रतिशत खाद्य फसलों के उत्पादन में लगा है.
चाय, जूट तथा गन्ना यहाँ की प्रमुख औद्योगिक तथा धनद फसलें हैं. चाय की कृषि के अन्तर्गत लगभग 65 प्रतिशत कृषिगत भूमि सम्मिलित है. आसाम के आर्थिक तन्त्र में इसका विशेष हाथ है. भारत की छोटी बड़ी 7,100 चाय बागान में से लगभग 700 असम में ही स्थित हैं. साल 1970 में कुल 2,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय के बाग थे, जिनसे साल 1970 में लगभग 21,5 करोड़ किग्रा चाय तैयार की गई. इस उद्योग में प्रतिदिन 3,79,781 मजदूर लगे हैं, जिनमें अधिकांश उत्तर बिहार तथा पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के हैं.
जूट लगभग छह प्रतिशत कृषियोग्य भूमि में उगाई जाती है. आर्थिक दृष्टिकोण से यह अधिक महत्वपूर्ण है. आसाम घाटी के पूर्वी भाग तथा दरंग जनपद इसके प्रमुख क्षेत्र हैं. साल 1970 में यहाँ की नदियों में से 26.5 हजार टन मछलियाँ भी पकड़ी गईं थी.
असम राज्य की प्रमुख नदी ब्रह्मपुत्र (तिब्बत की सांगपी) है, जो लगभग पूर्व पश्चिम में प्रवाहित होती हुई धुबरी के निकट बांग्लादेश में प्रविष्ट हो जाती है. प्रवाहक्षेत्र के कम ढलवाँ होने के कारण नदी शाखाओं में विभक्त हो जाती है तथा नदीस्थित द्वीपों का निर्माण करती है, जिनमें माजुली (129 वर्ग किमी) विश्व का सबसे बड़ा नदी स्थित द्वीप है. वर्षाकाल में नदी का जलमार्ग कहीं कहीं 8 किमी चौड़ा हो जाता है तथा झील जैसा प्रतीत होता है. इस नदी की 35 प्रमुख सहायक नदियाँ हैं. सुवंसिरी, भरेली, धनसिरी, पगलडिया, मानस तथा संकाश आदि दाहिनी ओर से तथा लोहित, नवदिहिंग, बूढ़ी दिहिंग, दिसांग, कपिली, दिगारू आदि बाई ओर से मिलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं.