7वें वेतन आयोग को फाइनल हरी झंडी

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केन्द्र सरकार ने आखिर एक साल के लंबे इंतजार के बाद देशभर में अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग को पूरी तरह से हरी झंडी दिखा दी है।

अशोक लवासा कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी

सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में भत्ते पर की गई बढ़ोत्तरी में बदलाव के लिए अशोक लवासा कमेटी का गठन किया था जिसने लंबे अंतराल के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है।

केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी  2016 से इसे लागू किया

आपको बता दें कि वेतन में हुई बढ़ोत्तरी को केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2016 से लागू किया था। कयास लगाया जा रहा था कि कर्मचारियों को बढ़ा हुआ भत्ता उस दिन से दिया जाएगा जिस दिन वह लवासा कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे देगी। हालांकि इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को खुश करते हुए भत्ते का एरियर देने के लिए भी 1 जनवरी 2016 की तारीख तय कर दी है।

7वें वेतन आयोग के कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलू है

इस फैसले से जहां केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को बड़ा फायदा पहुंचने का रास्ता साफ हो चुका है वहीं इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं जिसके लिए केन्द्रीय रिजर्व बैंक समेत वित्तीय मामलों के जानकार अगाह कर चुके हैं।

7वें वेतन आयोग से कर्मचारियों को क्या होगा फायदा ?
  • सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से लगभग 1 करोड़ केन्द्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगियों की कमाई में औसतन 23.5 फीसदी का इजाफा होगा।
  • वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के पास कैश- दोनों वास्तविक और डिजिटल में बढ़ोत्तरी होगी। इसका सीधा फायदा देश में खपत में इजाफे के तौर पर देखने को मिलेगा।
  • परिवार के पास बढ़े हुए पैसे से देश में घर और गाड़ियों की मांग बढ़ने के पूरे आसार हैं। बैंकों को उम्मीद है कि इस बढ़ती मांग से देश में बैंकों की लेंडिंग बढ़ेगी जिससे बैंक अधिक कारोबार और मुनाफा दर्ज कर सकेंगे।
  • नौकरीशुदा लोगों की जेब में अधिक पैसा होने की स्थिति में ड्यूरेबल गुड्स में कंज्यूमर डिमांड में इजाफा देखने को मिलेगा जिससे इंडस्ट्रियल सेक्टर में कारोबारी तेजी के साथ-साथ अधिक नौकरी पैदा करने में मदद मिलेगी।
  • बीते वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिला है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर और कंज्यूमर ड्यूरेबल समेत एफएमसीजी कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा मिला है।
  •  वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद सैलरी पा रहे लोगों का खर्च बढ़ने से सरकार के रेवेन्यू में भी इजाफा दर्ज होगा। अधिक पैसे का साफ मतलब है कि लोगों की सेविंग्स में भी इजाफा दर्ज होगा और यही अर्थव्यवस्था में मिडिल क्लास की सबसे बड़ी ताकत है।
  • हालांकि कंज्यूमर गुड्स की अधिक मांग से देश में इंफ्लेशन बढ़ने का भी खतरा है. बीते दो वर्षों के दौरान सरकार ने महंगाई पर लगाम लगा रखा है। इससे डिमांड के जरिए बढ़ने वाली महंगाई आम आदमी और सरकार के लिए ज्यादा बड़ी परेशानी नहीं होगी।
  • सातवें वेतन आयोग के पॉजिटिव इंपैक्ट की उम्मीद पर रिजर्व बैंक सभी बैंकों से ब्याज दर कम करने की अपील कर रही है। लिहाजा एक बार जैसे ही केन्द्र सरकार अपने 47 लाख कर्मचारी और 53 लाख पेंशनभोगी को वेतन आयोग से हुए इजाफे की रकम पहुंचा देगी देश में गाड़ी, कार और होम लोन सस्ते हो जाएंगे।.
  •  सातवें वेतन आयोग से बढ़ी इनकम और देश में कम दरों पर कर्ज की उपलब्धता देश में सुस्त पड़े रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने के लिए पर्याप्त है।
  •  अधिक खपत और अधिक मांग का सीधा असर देश में नई नौकरियों में इजाफे के तौर पर देखने को मिलेगा। नौकरियों में यह इजाफा खासतौर पर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में दिखेगा।
 वेतन और भत्ता बढ़ने का नकारात्मक प्रभाव
  •  रिजर्व बैंक ने अप्रैल में जारी अपने मौद्रिक समीक्षा में कहा था कि वेतन आयोग की सिफारिशों से बढ़ा हुआ भत्ता देने पर केन्द्र सरकार के खजाने पर बड़ा बोझ पड़ेगा. इसके चलते रिजर्व बैंक ने आशंका जाहिर की थी कि देश की जीडीपी को 1 से 1.5 फीसदी तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
  • इस फैसले से केन्द्र सरकार के खजाने पर 1,76,071 करोड़ रुपये का बोझ सिर्फ रिटायर्ड केन्द्रीय कर्मचारियों को वार्षिक पेंशन देने से पड़ेगा.
  • भत्ते पर वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर केन्द्र सरकार के खजाने पर 29,300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा.
  •  कर्मचारियों के भत्ते पर केन्द्र के फैसले के बाद अब लगभग राज्य इस दर पर राज्य के कर्मचारियों को भत्ते में इजाफा देंगे जिसका असर राज्यों के राजस्व पर पड़ेगा
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