पटना न्यायालय से नीतीश सरकार को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज

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बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को सोमवार को पटना उच्च न्यायालय(Patna High Court) से उस वक्त झटका लगा, जब राज्य में नवगठित नीतीश सरकार के खिलाफ राजद नेता और अन्य लोगों की ओर से दायर याचिकाओं को पटना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

राजद नेता ने याचिका खरिज होने के बाद कहा कि अब वे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने बिहार में नवगठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के गठन की प्रक्रिया के खिलाफ दर्ज याचिका खारिज कर दी।

बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने सदन में बहुमत साबित कर दिया है। इसलिए अदालत ऐसे मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अदालत ने यह भी कहा कि अगर आपके पास बहुमत था, तो इसे सदन में साबित करना चाहिए था। केवल यह कहना कि हम सबसे ज्यादा विधायकों की पार्टी हैं, पर्याप्त नहीं है।

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उल्लेखनीय है कि पटना उच्च न्ययालय में गुरुवार को राजद के बड़हरा क्षेत्र से विधायक सरोज यादव और अन्य तथा नौबतपुर के समाजवादी नेता जितेन्द्र कुमार की तरफ से अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गई थी।

याचिकाओं में कहा गया कि सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी राजद को पहले सरकार बनाने का न्यौता दिया जाना चाहिए था, जबकि राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

याचिका में यह भी कहा गया था कि वर्ष 2015 में बिहार में कांग्रेस, जद (यू) और राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था और जनता ने महागठबंधन के लिए वोट दिया था। ऐसे में नीतीश का भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाना जनादेश का उल्लंघन है।

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इधर, विधायक सरोज यादव ने याचिका खरिज होने के बाद कहा कि वे अब इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पर उन्हें पूरा भरोसा है और उन्हें आशा है कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा। उन्होंने दोहराया कि नीतीश ने जनादेश का उल्लंघन किया है। जिसके खिलाफ लोगों ने जनादेश दिया था, आज उसी पार्टी की सरकार है।

गौरतलब है कि राजद, जद (यू) और कांग्रेस के महागठबंधन में टूट के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) ने भाजपा नीत राजग के साथ मिलकर नई सरकार का गठन किया है।

महागठबंधन से अलग होने और राजग के साथ मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर शपथ लेने के बाद नीतीश सरकार ने विधानसभा में 131 विधायकों के साथ बहुमत साबित कर दिया था। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता होती है।

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