Pariksha Pe Charcha: पीएम मोदी के 10 गुरू मंत्र….
परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को तनाव व चिंता से मिल सकती है निजात
Pariksha Pe Charcha: देश में लगातार बढ़ती युवाओं की आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए वैसे तो सरकार फैसले ले रही है, लेकिन पीएम मोदी भी इसको लेकर चिंतित हैं. इसी क्रम में आज उन्होने साल 2024 में होने वाली आगामी परीक्षाओं के लिए छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ मिलकर चर्चा की है. इस चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने परीक्षा के दौरान छात्रों को तनाव और चिंता से निजात देने का गुरु मंत्र दिया है.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा है कि, ”इस तनाव को हम खत्म नहीं कर सकते है, लेकिन हमको इसके लिए तैयार होना होगा. बच्चों को विश्वास होना चाहिए कि दबाव बनता रहता है, इससे निपटने के लिए खुद को तैयार करना होगा. पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी उस स्थान पर आये हैं, जहां प्रारंभ में विश्व के सभी महान नेताओं ने दो दिन बैठकर दुनिया के भविष्य पर चर्चा की थी. आज आप उस जगह पर हैं और भारत के भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं.”
परीक्षा के तनाव से निपटने के लिए अपनाएं ये ट्रिक्स
-परीक्षा के तनाव को कभी खत्म नहीं किया जा सकता है, हमें इससे लड़ना होगा. हमें किसी भी दबाव का सामना करने की क्षमता अपने अंदर विकसित करनी होगी. बच्चों को पता होना चाहिए कि दबाव से निपटने के लिए खुद को कैसे तैयार करना है.
-अगर जीवन में चुनौतियां नहीं होती तो कोई प्रेरणा और उत्साह नहीं मिलता है. ऐसे में जीवन में चुनौतियां और प्रतिस्पर्धा प्रेरणा समझे. लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए और बिना प्रेरणा के बच्चों को सफलता नहीं मिल सकती है.
-प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों से कहा कि बच्चों पर इतना दबाव न डालें कि उसकी क्षमता पर असर पड़े. हमें चरम स्तर तक नहीं बढ़ना चाहिए; इसके बजाय, किसी भी प्रक्रिया में धीरे-धीरे विकास करना चाहिए.
-अपने दोस्तों से कभी प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए. आप सिर्फ खुद से मुकाबला करना चाहिए. अपने दोस्त से घृणा करने की आवश्यकता नहीं है. वास्तव में, वह आपका दोस्त आपको प्रेरित कर सकता है, इसके साथ ही अपनी सोच को बदलना होगा तभी हम अपने से तेज तर्रार व्यक्ति को दोस्त बना पाएंगे.
-नियमित रूप से माता-पिता, शिक्षकों या मित्रों से नकारात्मक तुलना की जाने वाली “रनिंग कमेंट्री” विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक होती है. फायदे से अधिक नुकसान होता है. शत्रुतापूर्ण तुलनाओं और बातचीत के माध्यम से छात्रों के आत्मविश्वास और मनोबल को कम करने के बजाय, हमें मुद्दों का उचित और आत्मीय तरीके से समाधान सुनिश्चित करना चाहिए.
-शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच का संबंध ऐसा होना चाहिए कि विद्यार्थी इसे “विषय-संबंधी बंधन” से अलग समझें. ये बंधन मजबूत होना चाहिए, यह रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि विद्यार्थी अपने शिक्षकों से खुलकर अपने तनावों, समस्याओं और असुरक्षाओं पर चर्चा कर सकें. जब शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अच्छी तरह से सुनेंगे और उनके प्रश्नों को पूरी ईमानदारी से जवाब देंगे, तो विद्यार्थी आगे बढ़ेंगे.
-जब कोई शिक्षक सोचता है कि विद्यार्थियों का तनाव कैसे दूर करें? परीक्षा के दौरान तनाव को कम करने के लिए पहले दिन से लेकर परीक्षा तक आपका और छात्र का रिश्ता बेहतर बना रहना चाहिए. जिस दिन शिक्षक पाठ्यक्रम से आगे बढ़ेंगे और विद्यार्थियों के साथ संबंध बनाएंगे, वे आपसे भी अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में बताएंगे. इसके साथ ही अपने विचार साझा करेंगे.
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-इसके साथ ही परीक्षा से होने वाले तनाव का समाधान बच्चे को ही नहीं बल्कि परिवार और शिक्षक को भी करना चाहिए. क्योकि, यदि जीवन में प्रतिस्पर्धा ही नहीं होगी तो प्रेरणा और चेतना शून्य हो जाएगी. इसलिए प्रतिस्पर्धा जरूरी है और उससे भी जरूरी है स्वस्थ प्रतिस्पर्धा.
-आप सभी छात्रों में कई सारे ऐसे बच्चे होगे जिनके पास मोबाइल फोन होगा, वही कुछ ऐसे भी होंगे जिन्हें घंटो तक फोन चलाने की आदत होगी. ऐसे में अगर किसी चीज को रोज यूज करते हैं तो उसे चार्ज करने की जरूरत होती है, फिर शरीर को भी तो चार्ज करना पडेगा न.