पकौड़ा बेचना रोजगार है तो भीख मांगना भी जॉब है : पी. चिदंबरम

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पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से पकौड़ा बेचने को रोजगार बताने पर कांग्रेस लीडर पी. चिदंबरम ने निशाना साधा है। सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने रविवार को कहा कि यदि पकौड़ा बेचना भी नौकरी है तो फिर भीख मांगने को भी रोजगार के एक विकल्प के तौर पर देखना चाहिए। एक बाद एक किए गए कई ट्वीट्स में चिदंबरम ने कहा कि सरकार नौकरियों के अवसर पैदा करने के मामले में पूरी तरह से फेल है और उसे कुछ सूझ नहीं रहा है।

‘पकौड़े बेचना रोजगार है तो भीख मांगना भी जॉब है’

अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘पीएम ने कहा कि पकौड़े बेचना भी एक जॉब है। इस तर्क से तो भीख मांगना भी एक जॉब है। अब उन गरीब और अक्षम लोगों को भी रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या में गिन लेना चाहिए, जिन्हें मजबूरी में भीख मांगकर गुजारा करना पड़ रहा है।’ बता दें कि 19 जनवरी को एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने सवालिया अंदाज में कहा था, ‘यदि एक शख्स पकौड़े बेचता है और शाम को 200 रुपये लेकर घर पहुंचता है तो क्या उसे रोजगार माना जाएगा या नहीं?

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‘मनरेगा वर्कर्स को भी नौकरी करने वालों में गिनना चाहिए’

पी. चिदंबरम ने कहा, ‘एक अन्य मंत्री का कहना है कि मनरेगा वर्कर्स को भी नौकरी करने वालों में गिनना चाहिए। यदि वह जॉब है तो क्या सिर्फ 100 दिन के लिए है और बाकी 265 दिन उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है।’ महात्मा गांधी नैशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी ऐक्ट को 2005 में लागू किया था। इसके तहत सरकार का लक्ष्य था कि गांवों में गरीब तबके के बेरोजगार और अकुशल लोगों को कम से कम 100 दिन मजदूरी की गारंटी दी जाएं।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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