जैविक खेती से बढाएंगे मिट्टी की उर्वरता

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वाराणसी के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किसानों को जैविक संसाधन बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में वाराणसी और मीरजापुर के कादीचक और नक्कुरपुर गांवो के 50 किसानों ने हिस्सा लिया. इस दौरान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डीपी सिंह ने किसानों को जैविक खेती में सूक्ष्मजीव अनुकल्पों के उपयोग के माध्यम से मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य को संवर्धित करने की जानकारी दी. उन्होंने सूक्ष्मजीव अनुकल्पों द्वारा टमाटर के पौधों और गेंहूं के बीजों के शोधन का सजीव प्रदर्शन किया. किसानों को बताया कि सूक्ष्मजीव टेक्नोलॉजी से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक आदि मिट्टी में पोषित करनेवाले पाउडर और तरल सूक्ष्मजीव अनुकल्प विकसित किये जा चुके हैं. यह किसानों के लिए उपलब्ध हैं।

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जैविक खाद का वितरण

कार्यक्रम में नाइट्रोजन संश्लेषक एजोटोबैक्टर, फास्फेट विलायक जीवाणुओं, संस्थान द्वारा विकसित बैसिलस के जीवाणुओं के तरल कॉन्सोर्टिया किसानों को वितरित किया गया. उन्होंने बताया कि मिट्टी का जैविक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये गोबर की खाद के साथ घुलनशील जीवाणु कल्चर मिलाकर डालने से खेत की गुणवत्ता में सुधार होता है. इससे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाई जा सकती है. डॉ .नागेंद्र राय ने कहा कि जीवाणु कल्चर से बीज व नर्सरी पौधों को उपचारित करना चाहिए. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुभजीत राय ने बताया कि रासायनिक दवाओं के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जैविक बायो एजेंट एक सशक्त विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं. इससे मिट्टी और पौधों की सभी जरुरतों को लंबे समय तक पूरा किया जा सकता है.

कम लागत में अधिक उत्पाादन

किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. सभी किसानों को गेंहू (डी बीडब्लू-187), जैविक कल्चर (बायो एनपीके व फास्फेट घुलनशील जीवाणु कल्चर) बीसी 6 कॉन्सोर्टिया बीज जड़ शोधन के लिए दिया गया. प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि संस्थान के निदेशक डॉ. तुषार कांति बेहेरा के निर्देशन में किसानों में खेतों में जैविक संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

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