राज्यसभा से विपक्ष का वाकआउट, बोले पीएम- मैदान छोड़कर भाग गए वो…

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नई दिल्ली: 18 वीं लोकसभा के संसद सत्र का आज आठवां दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर आज राज्यसभा में बोलते हुए विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे हैं. पीएम मोदी के सदन में पहुंचने के बाद से ही विपक्ष लगातार शोर- शराबा करता रहा लेकिन पीएम मोदी बोलते रहे. पीएम के सम्बोधन पर विपक्ष वाकआउट कर गया. इस पर राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के इस कदम को संविधान का अपमान बताया.

जनता ने तीसरी बार दिया है जनादेश…

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि भारत की आजादी के इतिहास में हमारी संसदीय लोकतांत्रिक यात्रा में बहुत दशकों के बाद देश की जनता ने एक सरकार को तीसरी बार देश की सेवा करने के लिए चुना है. 60 साल के बाद यह हुआ है कि 10 साल के बाद किसी एक सरकार की फिर से वापसी हुई है और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र में छह दशक के बाद हुई यह घटना असामान्य है.

झूठ फैलाने वालों में सच सुनने का साहस नहीं

पीएम मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि झूठ फैलाने वालों में सच सुनने का भी साहस नहीं है. उनमें सच का सामना करने और इतनी चर्चा के बाद उठाए गए सवालों का जवाब देने का साहस नहीं है. वे उच्च सदन की महान परंपरा का अपमान कर रहे हैं. देश की जनता ने उन्हें हर तरह से हरा दिया है. उनके पास सड़कों पर नारे लगाने, हंगामा करने और मैदान छोड़कर भाग जाने के अलावा कुछ नहीं बचा है.

आपातकाल में संविधान पर कांग्रेस ने चलाया बुलडोजर…

राज्यसभा में पीएम मोदी ने जय प्रकाश नारायण को याद किया और कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान में बुलडोज़र चलने का काम किया है. इतना ही नहीं उसने विपक्ष के नेताओं को जेल में डालने का काम किया . इस दौरान कई लोगों की जान चली गई.

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पीएम का काम झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करनाः खड़गे

राज्यसभा से पीएम मोदी के भाषण के दौरान सदन से वाकआउट करने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदन में पीएम मोदी कुछ गलत बातें बोल रहे थे. उनका काम झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करना और सच को छुपाना है. उनसे सिर्फ उन्होंने यह पूछा था कि आपने संविधान नहीं बनाया और वे इसके खिलाफ थे. मैं सिर्फ यह स्पष्ट करना चाहता था कि कौन इसके खिलाफ है और कौन उसके पक्ष में. यह वही लोग हैं जिन्होंने नेहरू और आंबेडकर के पुतले जलाए.

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