शिवराज सरकार का ‘सरदार सरोवर आंदोलन’ पर ‘यू टर्न’

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मध्य प्रदेश के सरदार सरोवर बांध विस्थापितों की समस्याओं को लेकर 11 साथियों के साथ बेमियादी उपवास पर बैठीं ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की नेता मेधा पाटकर (Medha Patkar) को मिल रहे राजनीतिक दलों के समर्थन के कारण मध्यप्रदेश सरकार अब ‘यू टर्न’ लेने लगी है। मेधा के अनशन का शुक्रवार को नौवां दिन है और उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई है।

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्ववाली सरकार ने पहले तो मेधा और उनके साथी आंदोलनकारियों पर हमले बोले, मगर उपवास का नौवां दिन आते-आते मुख्यमंत्री चौहान ने मेधा के स्वास्थ्य पर चिंता जताते हुए उनसे उपवास खत्म करने का अनुरोध किया।

नर्मदा घाटी के 192 गांव के 40 हजार परिवार होगें प्रभावित

मामला यह है कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर किए जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव और इनमें बसे 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक पूर्ण पुनर्वास के बाद ही विस्थापन और बांध की ऊंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया था।

विस्थापितों को जहां बसाने की तैयारी चल रही है, वहां का हाल बुरा है। टीन का लंबा शेड डालकर कुछ कमरे और शौचालय बनाए गए हैं, जिनमें दरवाजे नहीं हैं। वहां रहना तो दूर, वहां आसानी से पहुंचना भी मुश्किल है।

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मेधा पाटकर ने 27 जुलाई से शुरू किया अनिश्चितकालीन उपवास

पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर मेधा पाटकर ने अपने 11 साथियों के साथ धार जिले के चिखल्दा में अनिश्चितकालीन उपवास 27 जुलाई से शुरू किया। मेधा के उपवास को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और नर्मदा घाटी विकास मंत्री लाल सिंह आर्य ने उन पर भ्रम फैलाने का आरोप तक लगा डाला।

इतना ही नहीं, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष रजनीश वैश्य ने तो इसे ‘बाहरी लोगों का आंदोलन’ करार दे दिया। सरकार के इन बयानों से प्रभावितों में असंतोष और बढ़ गया।

मेधा को उपवास के दौरान कांग्रेस, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, स्वराज पार्टी के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों का साथ मिला है। जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने भी शुक्रवार को मेधा को पत्र लिखकर उपवास खत्म करने की अपील की और भरोसा दिलाया कि देश और दुनिया का बड़ा तबका उनके साथ है।

वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में यह मामला उठाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मेधा का समर्थन किया। विस्थापित होने जा रहे 40 हजार परिवारों के प्रति हमदर्दी दिखाते हुए दिल्ली में भी आंदोलन शुरू हो गया है।

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आंदोलन से सरकार का रुख बदलने लगा

मेधा की बिगड़ती तबीयत और आंदोलन को मिल रहे समर्थन के चलते सरकार का रुख बदलने लगा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए। इन ट्वीटों में उन्होंने लिखा है, “मेधाजी, मुझे आपके और आपके साथियों के स्वास्थ्य की चिंता है। मेरा आपसे नम्र निवेदन है कि आप सभी अपने अनशन को समाप्त करें।”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “सभी विस्थापितों के हितों की चिंता करना मेरा कर्तव्य है, मैं और पूरा प्रशासन उनके साथ पूरी तरह खड़े हैं। मैंने खुद विस्थापितों से बात कर उनकी और भी जो जरूरतें थीं, उनको पूरा करने के आदेश जारी कर दिए हैं।”

उन्होंने आगे लिखा, “नर्मदा घाटी के विस्थापितों के पुनर्वास का कार्य नर्मदा पंचाट एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार पूर्ण किया गया है।”

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सरकार की जमकर होगी किरकिरी

मुख्यमंत्री चौहान के इन ट्वीटों का यही मतलब निकाला जा रहा है कि सरकार आंदोलनकारियों से बातचीत का मन बना रही है, क्योंकि अगर मेधा को कुछ हो गया, तो सरकार की जमकर किरकिरी होगी।

आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी मांग ही पूर्ण पुनर्वास की है, जो अब तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर होना था। मुख्यमंत्री जो ट्वीट कर कह रहे हैं कि पुनर्वास सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हुआ है। वे जो कह रहे हैं, उससे तस्वीर उलट है। पुनर्वास की हकीकत जानने मुख्यमंत्री स्वयं तो एक पुनर्वास स्थल पर चले जाएं। सब सामने आ जाएगा।

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