दिल्ली में 5000 में से 400 पब-रेस्तरां के पास फायर सेफ्टी परमिट
जिस दिन मुंबई के एक पब में आग लगने से 14 लोगों ने अपनी जान गंवाई, उसी दिन दिल्ली के 5000 रेस्तरां, पब और बार में से सिर्फ 400 ही ऐसे थे, जहां फायर सेफ्टी के नियमों का पालन हो रहा था। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की पड़ताल में पता चला है कि कई प्रसिद्ध खाने की जगहों पर धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन हो रहा है।एक फायर ऑफिसर ने बताया कि उनकी टीम द्वारा समय-समय पर इस जगहों पर जाकर नियमों की जांच की जाती है।
तो अस्थाई व्यवस्था को खत्म कर दिया जाता है
उन्होंने बताया कि ज्यादातर रेस्तरां मालिक एक ही नियम का सहारा लेकर फायर सेफ्टी को पूरी तरह लागू करने से बचते हैं। नियम के मुताबिक, जिन रेस्तरां में बैठने की क्षमता 50 कस्टमर्स से कम है, वहां फायर क्लीयरेंस की जरूरत नहीं है। ऐसे में ज्यादातर रेस्तरां मालिक खुद को 50 कस्टमर से कम क्षमता वाला बताते हैं। वे कस्टमर्स के बैठने के लिए अस्थाई सीट का इंतजाम करते हैं और जब भी टीम जांच के लिए जाती है तो अस्थाई व्यवस्था को खत्म कर दिया जाता है।
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म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है। करीब 4,528 रेस्तरां ऐसे हैं, जिन्होंने यह कहकर लाइसेंस लिया है कि उनके यहां 48-49 लोगों के बैठने की ही व्यवस्था है। सीनियर ऑफिसर ने बताया, ‘डिपार्टमेंट में लोगों की कमी के चलते औचक निरीक्षण कर पाना संभव नहीं होता है।’ उन्होंने बताया, ‘इसके बाद भी इस साल अब तक करीब 7,000 से ज्यादा चालान बिल्डिंग कोड, अनऑथोराइज्ड प्रॉपर्टी का इस्तेमाल और तय से ज्यादा लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था के लिए काटे जा चुके हैं।
जिनके पास फायर क्लीयरेंस है
‘ खान मार्केट और हौज खास जैसी कई ऐसी जगह हैं, जहां लोगों के निकलने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं और वहां की बिल्डिंगें भी पुरानी हैं। अधिकारी ने बताया कि सिर्फ 35 पब और रेस्तरां ही ऐसे हैं, जिनके पास फायर क्लीयरेंस है।
(साभार-एनबीटी)
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