प्रभु राम के वन गमन पर लीला प्रेमियों की आंखें हुई नम, इंद्र देव ने बरसाए मेघ
वाराणसी- रामनगर की रामलीला के नौवें दिन राम वनगमन, निषाद मिलन, लक्ष्मणकृत गीता उपदेश का मंचन हुआ. अयोध्या कांड के 57 से 93 तक के दोहे की लीला संपन्न हुई. राम को वन जाते देख लीला प्रेमियों की आंखें नम हो गईं. वहीं बरसात के चलते लीला प्रेमियों को परेशानी हुई.
राम चलत अति भयउ बिषादू। सुनि न जाइ पुर आरत नादू॥ कुसगुन लंक अवध अति सोकू। हरष बिषाद बिबस सुरलोकू॥ श्रीराम के वन की ओर बढ़ते ही भारी विषाद छा गया. नगर का हाहाकर सुना नहीं जा रहा था. लंका में अपशकुन होने लगे, अयोध्या में शोक छा गया. देवलोक में सब हर्ष और विषाद में डूब गए. हर्ष इस बात का था कि अब राक्षसों का नाश होगा और विषाद अयोध्यावासियों के शोक के कारण था.
रावण का आने लगे बुरे सपने
रामनगर की रामलीला के नौवें दिन राम वनगमन, निषाद मिलन, लक्ष्मणकृत गीता उपदेश का मंचन हुआ. अयोध्या कांड के 57 से 93 तक के दोहे की लीला संपन्न हुई. राम को वन जाते देख लीला प्रेमियों की आंखें नम हो गईं. राम वन के लिए निकले तो लंका में रावण को बुरे सपने दिखाई देने लगे. सीता और लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो गए. सभी ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने. कैकेयी के कटु वचन सुनकर दशरथ अचेत हो गए; राम उन्हें प्रणाम करके गुरु वशिष्ठ को अयोध्या की देखरेख करने के लिए कहकर वन चल पड़े. यह देख देवता प्रसन्न हो उठे. होश में आने पर दशरथ सुमंत से पूछते हैं कि राम वन को चले गए. अभागे प्राण शरीर से नहीं जाते किस सुख के लिए भटक रहे हैं. वह रथ लेकर सुमंत को राम को बुलाने के लिए भेजते हैं.
भूमि पर शयन करते देख रो पड़े निषादराज
सुमंत रथ लेकर आते हैं और कहते हैं कि राजा की आज्ञा है कि वापस चलें. श्रीराम बहुत सारे लोगों को लौटा देते हैं. अयोध्या के सभी प्राणी व्याकुल हो जाते हैं. रात बीतने के बाद सुबह श्रीराम सुमंत से कहते हैं कि रथ इस प्रकार चलाएं कि मार्ग में पहिये के निशान न मिले. श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी शृंगेश्वर पहुंचते हैं. निषादराज समाचार पाकर कंद मूल लेकर राम के दर्शन के लिए दौड़ पड़ते हैं. राम से मिलने के बाद वह दंडवत लेट जाते हैं. उन्हें अपने गांव ले जाना चाहते हैं, लेकिन राम वन में ही रहने को कहते हैं. भोजन के बाद राम, सीता भूमि पर शयन करते हैं. यह देख निषादराज रोने लगे तो लक्ष्मण ने उन्हें मोह छोड़कर सीताराम के चरण कमल में अनुराग करने को कहा. इस प्रकार रामगुन गाते-गाते सवेरा हो गया. राम जाग गए. यहीं पर भगवान की आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया है.
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लीला शुरू होते ही लगी वर्षा की झडी, डटे रहे नेमी
बता दें कि जैसे ही लीला प्रारंभ हुई कुछ समय बाद भगवान इंद्रदेव द्वारा वर्षा की झडी लगा दी गयी. इस लीला में सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि भगवान इंद्र बारिश कर रहे थे लीला प्रारंभ थी और नेमी भी बिल्कुल डटे हुए थे. वहीं लोग लीला के बीच में भगवान श्री राम का जय घोष कर रहे थे. वहीं लीला में पहुंचे लल्लन ने भगवान राम का नाम लिया और कहा का प्रभु आज हम लीला न देख पाईब का, जैसे ही उन्होंने यह बात कही बरसात बंद हो गई.