ओडिशा के वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास का किया एलान
ओडिशा के वीके पांडियन ने राजनीती से संन्यास का एलान कर दिया है. लगातार हो रही आलोचनाओं के चलते उनकी तरफ से यह फैसला लिया गया है. असल में इस बार के विधानसभा चुनाव में BJD को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. दो दशक के बाद पटनायक को अपनी सीएम कि कुर्सी गंवानी पड़ी. इस हार को पार्टी के नेताओं ने वीके पांडियन को जिम्मेदार बताया था, क्यूंकि पार्टी के अंदर उनका हस्तक्षेप ज्यादा बढ़ चुका था.
क्यों विवादों में पांडियन…
बता दें कि, बढ़ते हस्तक्षेप के चलते कई लोग उन्हें नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी मान रहे थे यह भी कहा जाने लगा था कि पांडियन के बिना पार्टी में कोई फैसला नहीं लिया जाता. राजनीति के जानकार यह भी कह रहे कि इसी कि वजह से राज्य में BJD को हार मिली है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने भी प्रचार पर असर डाला और इसी वजह से बीजेपी चुनाव जीत गई. वीके पांडियन ने संन्यास का एलान किया.
वीके पांडियन ने क्या कहा…
वीके पांडियन ने एक वीडियो सोशल मीडिया में जारी कर कहा कि मैंने सक्रिय राजनीति से संन्यास का फैसला किया है. अगर इस सफर में किसी को नुकसान पहुंचा है तो मैं माफी चाहूंगा. अगर मेरे खिलाफ चले प्रचार की वजह से राज्य में हार मिली है तो मैं माफी चाहता हूं.मैं काफी समय से नवीन पटनायक के लिए काम कर रहा हूं क्योंकि ईमानदार नेता हैं.
कौन है वीके पांडियन…
वीके पांडियन का पूरा नाम वि कार्तिकेय पांडियन है. उनका जन्म 25 मई 1974 को तमिलनाडु में हुआ था. पांडियन हिंदी, उड़िया और तमिल में काफी अच्छी पकड़ रखते हैं. पांडियन 2000 के IAS अधिकारी है. उन्होंने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव और ओडिशा के मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में कार्य किया.
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IAS अधिकारी से राजनीति तक का सफर
तमिलनाडु में जन्मे वीके पांडियन IAS रह चुके हैं. इसके बावजूद उन्होंने ओडिशा की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. पूर्व आईएएस अधिकारी पांडियन की गिनती सर्विस टाइम से ही नवीन पटनायक के करीबियों में होती रही है. वीके पांडियन 2000 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी थे. उन्हें पहली पोस्टिंग साल 2002 में कालाहांडी में मिली थी. वीके पांडियन के नवीन पटनायक के गुडबुक में आने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी.