अब दंड नहीं न्याय मिलेगाः अमित शाह

77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूरी तरह से स्वदेशी हो रही है

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देश में आज यानि 1 जुलाई 2024 से IPC (इंडियन पैनल कोड) की जगह भारतीय न्याय संहिता के नए कानून को लागू कर दिया गया है. वहीं, विपक्ष संसद में इस नए कानून को लेकर जहां हमला कर रहा है वहीं सत्ता पक्ष इसके फायदे गिना रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज एक प्रेसवार्ता कर कहा कि देश में अब औपनिवेशिक कानून का दौर खत्म हो गया है. अब देश में दंड की जगह न्याय मिलेगा. देरी की जगह त्वरित सुनवाई होगी. राजद्रोह कानून को भी खत्म कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता को बहुत- बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आज़ादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली अब पूरी तरह से स्वदेशी हो रही है जो कि अब भारतीय लोगों के अनुसार चलेगी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इन कानूनों पर 75 साल बाद विचार किया गया.

देरी नहीं तुरंत मिलेगा न्याय…

अमित शाह ने कहा कि देश में अब ये कानून लागू हो गए हैं. इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे औपनिवेशिक कानूनों को खत्म कर दिया गया है और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है. देश में दंड की जगह अब न्याय लेगा. देरी की जगह लोगों को अब स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा. पहले सिर्फ पुलिस के अधिकार सुरक्षित थे लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे.

अंग्रेजों की रक्षा के लिए था राजद्रोह…

‘राजद्रोह’ कानून को खत्म किए जाने की बात कहते हुए अमित शाह ने कहा, “राजद्रोह एक ऐसा कानून था, जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाया था. महात्मा गांधी, गंगाधर तिलक और सरदार वल्लभ भाई पटेल… इन सभी ने इसी कानून के तहत छह-छह साल की सजा काटी थी. इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध भी लगाया गया था. लेकिन अब हमने राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया है और इसकी जगह देश-विरोधी हरकतों के लिए नई धारा लेकर आए हैं.

चार साल तक कानून पर विचार हुआः शाह

अमित शाह ने कहा कि इस संहिता को लेकर विपक्ष के कुछ दोस्त अलग-अलग बातें मीडिया के सामने रख रहे हैं कि अभी ट्रेनिंग नहीं हुई है, चर्चा नहीं हुई है. जबकि सच्चाई यही है कि इस पर लोकसभा में नौ घंटा 34 मिनट चर्चा हुई जिसमें 34 सदस्यों ने हिस्सा लिया. इसी तरह राज्यसभा में सात घंटा 10 मिनट चर्चा हुई जिसमें 40 सदस्यों ने हिस्सा लिया.

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आज से लागू हुए तीन नए कानून…

बता दें कि इससे पहले देश में आज सोमवार (1 जुलाई) को बड़े बदलाव के तहत तीन नए आपराधिक कानून लागू कर दिए गए हैं. माना जा रहा है कि इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव होंगे. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 अब देशभर में प्रभावी हो गए हैं. इन तीनों नए कानून ने अब ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) की जगह ले ली है.

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