बनारस में अब फिर हेरिटेज वॉक की तैयारी, ऐतिहासिक गलियों के संरक्षण की शुरू हुई कवायद
आध्यात्म, संस्कृति और विश्व की प्राचीन नगरी बनारस को मंदिरों घाटों में गलियों का शहर कहा जाता है, यहां की गलियां दुनिया में मशहूर हैं. अब समय के साथ इन गलियों की बदहाली को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग ने एक नई योजना शुरू करने का प्लान बनाया है, इसके तहत अब बनारस की गलियों का कायाकल्प करने के साथ उसके एतिहासिकता के संरक्षण का संकल्प लिया जा रहा है. हालांकि इससे पहलें बनारस घराने की संगीतकारों के मोहल्ले कबीरचौरा को हेरिटेज वाक बनाने की इस विभाग की योजना आजतक अधूरी है. इसमें मनमानेपन और भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लेकिन यह योजना मूर्तरूप नही ले सकी.
इन गलियों का हुआ चयन…
बता दें कि, इस योजना में बनारस की 6 गलियों का चयन किया गया है जिसमें सबसे पुरानी- बनारस घराने, साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी, बनारस की लज्जत कहीं जाने वाली बनारसी पान वाली गली शामिल है. कहा जा रहा है कि इन गलियों को अब नया कलेवर देकर काशी आने वाले पर्यटकों को लुभाया जाएगा और हेरिटेज वॉक के जरिए यहां के इतिहास को पूरी दुनिया में पहुंचने की कोशिश की जाएगी.
पर्यटकों को होगा इतिहास का ज्ञान- आरके रावत
पर्यटन उप निदेशक आरके रावत ने बताया कि हेरिटेज वॉक एक ऐसी योजना है, जिसके तहत पर्यटकों को अलग-अलग स्थान के इतिहास के बारे में बताना है. इसके लिए बनारस की 6 गलियों का चयन किया गया है. इनमें जो गलियां है, उनको रिनोवेट किया जाएगा. इसके जरिए टूरिस्टों को वहां के इतिहास के बारे में बताया जाएगा. इसमें फसाड लाइट से लेकर ड्रेनेज सिस्टम और गुलाबी पत्थरों से गली को नया रंग दिया जाएगा. इसके साथ दीवारों पर इतिहास के चित्र बनाकर, पत्थरों पर उकेर कर तैयार किया जाएगा.
हर गली की अपनी पहचान…
पर्यटन उप निदेशक आरके रावत ने बताया कि इन गलियों की अपनी एक अलग पहचान है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गली, साहित्यकारों की गली, संगीतकारों की गली, बनारस की लज्जत कहे जाने वाली बनारसी पान की गली यदि इन गलियों की बात करें तो चेतगंज वार्ड वन, चेतगंज वार्ड टू संगीत साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए जाना जाता है.
यह वह गलियां है जहां से मिठाई से लेकर प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत कर आजादी के आंदोलन में लोगों ने साथ दिया था. इस दौरान तमाम दिग्गज साहित्यकार यहां से निकले.
कबीरचौरा, पियरी कला, हबीबपुर पानदरीबा यह बनारस की गली पान के स्वाद के लिए जाने जाने वाली गालियां है. इन गलियों में जहां संगीत और सुर के साधक निकलकर बनारस घराने को आगे बढ़ाए, तो वही इन्हीं गलियों से बनारस में पान के कारोबार की शुरुआत हुई. यहां से पान पूरे देश में भेजा जाता है. पान दरीबा बनारस की सबसे पुरानी पान की मंडी कही जाती है.
गलियों में ये होगी सुविधाएं…
पर्यटन उप निदेशक आरके रावत ने बताया कि यहां आने वाले यात्रियों को न सिर्फ गालियों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि मूलभूत सुविधाओं को भी उपलब्ध कराया जाएगा. इसमें बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था, गलियों को जानने के लिए साइनेज की व्यवस्था, क्यूआर कोड की व्यवस्था जहां गलियों के इतिहास को लिखा जाएगा. इसके साथ ही दीवारों पर चित्र के जरिए भी वहां की कहानी को भी बताया जाएगा. इसके साथ इन गलियों में सुलभ शौचालय, पेयजल की भी व्यवस्था रहेगी. ताकि यहां आने वाली यात्रियों को कोई दिक्कत न हो.
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान बनारस घराने के संगीतकारों और संत कबीरदास की साधना स्थली कबीरचौरा हो हेरिटेज वाक बनाने की इसी विभाग ने नगर निगम के सहयोग से हेरिटेज वाक बनाने की योजना बनाई गई थी. तब पर्यटन और संस्कृति मंत्री इसी शहर के क्षेत्रीय विधायक नीलकंठ तिवारी थे. योजना को मूर्त रूप देने में तत्कालीन मंत्री संगीतकारों के परिवार से तालमेल बैठाने की जगह उनका इगो टकरा गया.
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नतीजा यह रहा कि कबीरचौरा के हेरिटेज वाक का काम आज भी अधूरा है. इसके विरोध में तब प्रख्यात संगीतकार राजन-साजन मिश्र को धरना देना पड़़ा, तब यह खबर सुर्खियों में थी. लेकिन यही पर्यटन विभाग और यूपी शासन के लोगों ने इन विभूतियों के विरोध को समझने का प्रयास नही किया. सत्ता के अहंकारी स्वरूप को बरकरार रखते हुए मनमानी की गई. नतीजा आज भी हेरिटेज वाक का काम आज भी अधूरा है. अब पर्यटन विभाग को क्यों बनारस की गलियों की याद आई यह वही और सत्ता के कर्णधार जानें.