धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं , SC ने की बड़ी टिप्पणी…

0

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,’आरक्षण धर्म की बुनियाद पर नहीं हो सकता.’ यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गई, जिसमें राज्य सरकार के 77 जातियों को ओबीसी में शामिल करने के फैसले को रद्द कर दिया था. इन 77 जातियों में ज्यादातर मुस्लिम बताई जा रही हैं. अदालत ने अगली सुनवाई 7 जनवरी तय कर दी है.

क्या बोले कपिल सिब्बल ?

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यह टिप्पणी तब की जब पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने जानना चाहा कि क्या सिद्धांत रूप में मुस्लिम आरक्षण के हकदार नहीं हैं. सिब्बल ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार का फैसला पिछड़ेपन पर आधारित था न कि धर्म पर. सिब्बल ने कहा,’पिछड़ापन सभी समुदायों में मौजूद है. एक दूसरे मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण को रद्द करने वाले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और मामला अभी भी लंबित है.

कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला ?…

बता दें कि 2010 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल में 2010 से दी गई कई जातियों को मिला ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया था. साथ ही पब्लिक सेक्टर की नौकरियों और राज्य द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए रिजर्वेशन को अवैध ठहराया था. हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि “यकीनन इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए धर्म ही एकमात्र मानदंड नजर आता है. मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ा वर्ग के रूप में चुनना मुस्लिम समुदाय का अपमान है. ”

अगली सुनवाई 7 जनवरी को…

बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी. इसमें राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह धर्म के आधार पर नहीं है. यह पिछड़ेपन के आधार पर है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सात जनवरी को विस्तृत दलीलें सुनेगी. बता दें कि हाई कोर्ट ने बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद कर दिया था और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण को अवैध ठहराया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि वास्तव में इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत हो रहा है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More