निर्जला एकादशी आज, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त….
Nirjala Ekadashi 2024: आज निर्जला एकादशी मनाई जा रही है, यह व्रत हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है. इस दिन बिना पानी के उपवास करने से वर्ष भर की सभी एकादशियों का पुण्य मिलता है. इस व्रत से चारों पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति होती है. आज आप अच्छे स्वास्थ्य और एक खुशहाल जीवन की इच्छा पूरी कर सकते हैं. +इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से चाहे गया फल मिलेगा. इसके साथ ही आइए आपको निर्जला एकादशी की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और पारण का समय बताते हैं.
शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी पर पूजा करने के लिए इस वर्ष दो शुभ मुहूर्त बन रहे है, लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने के लिए सुबह जल्दी तैयार होना चाहिए. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्री हरि विष्णु की पूजा कर सकते हैं. 18 जून, मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त सुबह चार बजे से चार बजे तक रहेगा और दूसरा मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.50 बजे तक रहेगा. आप निर्जला एकादशी की पूजा अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं.
पूजन विधि
इस व्रत को करने के लिए सुबह ब्रह्रम मुहूर्त में जगकर स्नान कर पीले रंग के वस्त्र धारण करें, इसे बाद निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें पंचामृत, तुलसी दल और पीले फूल अर्पित करें. श्रीहरि और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और किसी गरीब व्यक्ति को जल, अन्न, कपड़े, जूते या छाता दान करें. यह व्रत निर्जला होता है; हालांकि, कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में जलीय या फलाहार व्रत भी रखा जा सकता है.
पारण का शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी व्रत के अगले दिन सुबह स्नान करके गरीबों को खाना, कपड़े और जल दान करे. इसके बाद नींबू का पानी पीकर व्रत समाप्त करें. पहले हल्का भोजन करें. 19 जून, बुधवार को, निर्जला एकादशी के पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजे 24 मिनट से 7 बजे 28 मिनट के बीच होगा.
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कैसे हुई निर्जला एकादशी की शुरूआत
काशी के ज्योतिषाचार्य के अनुसार, व्यास जी के आदेश पर कुंती के पुत्र भीम ने भी इस व्रत को रखा था. भीम को बहुत भूख लगती थी, ऐसे में उन्होंने सिर्फ साल में एक व्रत रखा वो भी बिना अन्न और जल के इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ही पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला था. तब से इस व्रत को रखने की परंपरा चली आ रही है.