फिर आमने-सामने आए ये दोनों वकील, संयोग कहे या नियति…
कोई इसे संयोग कह रहा है, कोई इसे नियति कह रहा है, लेकिन दोनों इसे अपने लिए एक जॉब कह रहे हैं। दो वकील, जिन्होंने दिल्ली में निर्भया केस लड़ा था। अब हाथरस केस में भी एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।
सीमा कुशवाहा, जिन्होंने निर्भया केस में पीड़िता के परिवार की तरफ से केस लड़ा। अब हाथरस पीड़ित परिवार की वकील हैं।
कुश्वाहा ने कहा, “एक वकील के तौर पर काम करने के अलावा, मैं समाजसेवा भी करती हूं। मुझे 26 सितंबर को घटना की जानकारी मिली और तब से मैं परिवार के संपर्क में हूं। मैं 29 सिंतबर को पीड़िता के पास गई थी, लेकिन दुर्भाग्यवश, मेरे मिलने से पहले ही पीड़िता की मौत हो गई। मैं हाथरस पीड़िता के परिवार के संपर्क में हूं।”
निर्भया केस में भी आमने-सामने आये थे दोनों वकील-
इस संयोग के बारे में पूछे जाने के बाद कि वह उसी वकील के खिलाफ केस लड़ेगी, जिसके खिलाफ उन्होंने निर्भया मामले में केस लड़ा था।
सीमा ने कहा, “संयोग यह है कि मैं पीड़ितों खासकर के महिलाओं के केस अपने हाथ में लेती हूं। वह पुरुषों के समर्थन में केस लड़ते हैं। यह जेंडर का मामला है।”
चारों आरोपियों के लिए केस लड़ने वाले वकील ए.पी. सिंह ने पत्रकारों से कहा कि उनका काम उनके क्लाइंट के लिए लड़ना है और यह सुनिश्चित करना है कि निर्दोष लोगों को सजा न मिले। ए.पी. सिंह ने यह केस अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के आग्रह के बाद अपने हाथ में लिया है। चारो आरोपी ठाकुर समुदाय के हैं।
ए.पी. सिंह ने किया है निर्भया के आरोपियों और बाबा राम रहीम का बचाव-
ए.पी. सिंह ने इससे पहले निर्भया के आरोपियों और बाबा राम रहीम का बचाव किया है और अब हाथरस केस में कथित आरोपियों की तरफ से केस लड़ेंगे। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वह महज लोकप्रियता हासिल करने के लिए विवादास्पद केस अपने हाथ में लेते हैं।
उन्होंने कहा, “जब तक कोर्ट में सिद्ध नहीं हो जाता, कोई आरोपी नहीं है। मैं यह निर्णय करने वाला कोई नहीं हूं कि क्या सही है और क्या गलत है। मैं केवल अपना काम करता हूं।”
सिंह ने सीमा को बताया छोटी बहन-
सीमा कुश्ववाहा से कोर्ट में एक बार फिर सामना होने पर सिंह ने कहा, “यह अच्छा है कि हम दोनों एक बार फिर अपने तथ्यों को पेश करेंगे। वह मेरी छोटी बहन जैसी है।”
वहीं सीमा ने कहा कि कोर्ट में मामले की सुनवाई दिल्ली में करने को लेकर अपील करेंगी। वहीं उन्होंने कहा कि परिवार भी यही चाहता है।
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