नयी परम्पराः बाबा विश्वनाथ धाम से आई सामग्रियों से माता विशालाक्षी का हुआ सोलहो श्रंगार

चैत्र नवरात्र की पंचमी पर पहली बार बाबा विश्वनाथ की चुनरी और धाम से आई

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नयी परम्पराः बाबा विश्वनाथ धाम से आई सामग्रियों से माता विशालाक्षी का हुआ सोलहो श्रंगार

चैत्र नवरात्र की पंचमी पर पहली बार बाबा विश्वनाथ की चुनरी और धाम से आई सोलह श्रृंगार की सामग्री से माता विशालाक्षी का श्रृंगार हुआ. शनिवार को पंचम गौरी के रूप में विराजमान शक्तिपीठ मां विशालाक्षी देवी के मंदिर में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही.

मां विशालाक्षी का हुआ भव्य सोलह श्रृंगार

शनिवार को भोर में माता के विग्रह को पंचामृत से स्नान कराया गया. इसके बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से आई सोलह श्रृंगार की सामग्री से मां विशालाक्षी का विशेष श्रृंगार किया गया. साथ ही पूरे मंदिर परिसर को भी फूल-पत्तियों से सजाया गया. इसके बाद माता की मंगला आरती हुई और फिर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. भोर से शुरू हुए दर्शन-पूजन का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा. मंदिर के महंत परिवार के पं. सुरेश कुमार तिवारी के अनुसार यह वही शक्ति पीठ है जहां माता सती का नेत्र गिरा था. इसीलिए इस मंदिर की ख़ास मान्यता है.

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नई परम्परा की हुई शुरुआत

ऐसी मान्यता है कि काशी भ्रमण के बाद बाबा काशी विश्वनाथ रात्रि में मां विशालाक्षी के मंदिर में ही विश्राम करते हैं. विशालाक्षी माता सुहागिनों की इष्ट देवी मानी जाती हैं. जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से माता के दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. महंत राजनाथ तिवारी ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर की ओर से माता को नौ दिनों तक सोलह श्रृंगार करने की नई परंपरा की शुरुआत की गई है.
नवरात्र की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की आराधना करने की मान्यता है. ज्योतिषविद विमल जैन के अनुसार चौत्र शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि 14 अप्रैल को दिन में 11.45 बजे से अगले दिन 15 अप्रैल को दिन में 12.12 बजे तक रहेगी और सभी श्रद्धालु माता के दर्शन कर सकते हैं.

दिव्य एवं भव्य महोत्सव का हुआ आयोजन

लक्ष्मीकुंड स्थित प्राचीन काली मठ में दिव्य एवं भव्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. मंदिर के महंत पं. ठाकुर प्रसाद दुबे के नेतृत्व में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा नौ दिवसीय दुर्गा सप्तशती पाठ और दश महाविद्या पाठ चौत्र नवरात्र के प्रथमा तिथि से आरंभ हो चुका है. अनुष्ठान का समापन नवरात्र की नवमी तिथि 17 अप्रैल को हवन, पूजन, कुंवारी कन्या पूजन और भंडारा के साथ होगा. मंदिर के पुजारी पं. विकास दुबे ने बताया कि इस अवसर पर सायंकाल भजन के साथ मां का भव्य श्रृंगार और भंडारा कराया जाएगा.

Written By: Harsh Srivastava

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