सैनिक स्कूल में नई शुरुआत, छात्र कैडिटों के साथ पढ़ेंगी छात्राएं

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यूपी सैनिक स्कूल में शुरू हुआ नया अध्याय, बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश सेवा करेंगी बेटियां
इनका शौक देशसेवा और प्रेरणा माता-पिता हैं। ऐसी 15 बेटियों ने मंजिल की तरफ अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। तीन चरणों की परीक्षा में सफल होने के बाद प्रदेश के अलग अलग जिलों से आईं 15 बेटियों ने देश के पहले सैनिक स्कूल में दाखिला ले लिया।

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अब तक सैनिक स्कूल में केवल छात्र कैडेटों को ही शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता था। पहली बार यहां कक्षा नौ में बेटियों ने कदम रखा है। सैन्य अफसर बनने के लिए 12 से 14 साल की यह बेटियां अपने घरों से दूर एक लक्ष्य को हासिल करने पहुंची हैं।सुबह पांच बजे छात्रा कैडेट उठेंगी।

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इसके बाद मैदान में फिजिकल अभ्यास के बाद हॉस्टल में तैयार होकर 8:30 बजे सैनिक स्कूल पहुंचेंगी। यहां असेंबली के बाद उनकी पढ़ाई शुरू होगी। सुबह 11:30 बजे 10 मिनट का टी ब्रेक मिलेगा जबकि 1:40 बजे क्लास खत्म होने के बाद हॉस्टल में दोपहर का खाना खाएंगी। दो घंटे के आराम के बाद चार से छह बजे तक खेल के मैदान में अभ्यास करेंगी जबकि छह से रात आठ बजे तक स्कूल से मिले होमवर्क को पूरा कराया जाएगा।
नाम: अंजली यादव

शहर: उरई

प्रेरणा: पिता

शौक: पढ़ाई

अंजली यादव कहती हैं कि पापा राधेश्याम यादव सरकारी शिक्षक हैं। उन्होंने मुझे मेरी खूबियों का अहसास कराया और सेना में अफसर बनने के लिए प्रेरित किया। इतना हीं नहीं, दाखिले के लिए मेरी तैयारी करायी। मुझे पढऩा पसंद है।

नाम: वंशिका सिंह

शहर: बिजनौर

प्रेरणा: देशसेवा में लगीं महिलाएं
शौक: देशसेवा

वंशिका कहती हैं कि अब हर क्षेत्र में महिलाओं को देख गर्व होता है। पिता शिक्षक हैं इसलिए उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। मैं सेना में अफसर बनना चाहती हूं। सैन्य गतिविधियों को बहुत रुचि से पढ़ती हूं। जिससे मार्गदर्शन हो सके।

नाम: आकृति

शहर: गाजीपुर

प्रेरणा: सेना में अफसर बुआ

शौक: खेल

सेना में अफसर बुआ निर्मला देवी से प्रेरणा लेकर आकृति ने इस क्षेत्र को चुना। कहती हैं कि उनसे प्रेरणा लेकर मैंने सेना में अफसर बनने का रास्ता चुना। मेरी छोटी बहन भी अगले साल सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए परीक्षा देगी। पिता डॉक्टर हैं। मुझे पढऩे के साथ खेलना कूदना भी बहुत अच्छा लगता है।

नाम: त्रिश्ला चौधरी

शहर: लखनऊ

प्रेरणा: पिता

शौक: पिता का सहयोग करना

त्रिश्ला एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। पिता अमित कुमार किसान हैं। कहती हैं कि पिता ने मेरे लिए सेना में अफसर बनने का सपना संजोया है। मैं वायुसेना अफसर बनकर पिता का सपना पूरा करूंगी। पिता के साथ हाथ बंटाना मुझे अच्छा लगता है।

नाम: तनुश्री

शहर: बलिया

प्रेरणा: मां

शौक: शतरंज खेलना

तनुश्री कहती हैं कि पिता व्यापारी हैं लेकिन हर कदम पर मां ने मुझे प्रेरित किया और मेरा हौसला बढ़ाया। पिता ने मेरी पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने कहा कि आज बेटियां तो बेटों से भी आगे निकल रही हैं। शतरंज जैसे मानसिक कसरत वाले खेल बहुत अच्छे लगते हैं।

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नाम: अदिति राज

शहर: वाराणसी

प्रेरणा: मां

शौक: देशभक्ति की फिल्में देखना

अदिति के पिता पुलिस में हैं और इन दिनों जीआरपी लखनऊ में तैनात हैं। कहती हैं कि मां दुर्गा गौतम हमेशा से चाहती थींं कि उनकी बेटी सेना में अफसर बनकर देश का नाम रोशन करे।

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सेना में अफसर बनी तो यह मेरे परिवार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। देशभक्ति फिल्में देखना मुझे अच्छा लगता है।

नाम: अदिति सिंह

शहर: लखनऊ

प्रेरणा: मां-पिता

शौक: पढऩा

अदिति की मां टीचर हैं और पिता भी सरकारी कर्मचारी। कहती हैं कि दोनों की व्यस्तता के बावजूद उन्होंने मेरे लिए सेना में अफसर बनने को लेकर ही प्राथमिकता दी। वह बोले कि बेटों के साथ कदम मिलाकर तुमको विजयी होना है। करंट अफेयर की जानकारी के लिए पुस्तक पढऩा पसंद है।

नाम: अनुभूति सिंह

शहर: गोरखपुर

प्रेरणा: महिला सैन्य अफसर

शौक: इतिहास पढऩा

पिछले दिनों जब मैं सैनिक स्कूल आयी तो एक महिला सैन्य अफसर को देखकर बहुत आकर्षित हुई थी। पिता पुलिस में हैं और मां गृहिणी। अब मैं भी सेना में अफसर बनकर देश का मान बढ़ाना चाहती हूं। इंटरनेट पर ही देश के वीर जांबाजों के इतिहास को पढ़कर गर्व की अनुभूति होती है।

नाम: स्नेहा रानी

शहर: देहरादून

प्रेरणा: दादाजी

शौक: शतरंज खेलना

स्नेहा बताती हैं कि मेरे दादाजी गिरीश मोहन वायुसेना के अवकाश प्राप्त वारंट ऑफिसर हैं। पिता कोल्लूर चिडिय़ाघर में प्रबंधक जबकि मां शिक्षिका हैं। कहती हैं कि मैंने दादा से प्रेरित होकर सेना में अफसर बनने की राह चुनी। परिवार में ही देश के युद्ध के हालातों पर चर्चा करना अच्छा लगता है।

नाम: शुभांगी

शहर: मेरठ

प्रेरणा: पिता

शौक: साहसिक गतिविधियों में हिस्सा लेना

शुभांगी के पिता भरतवीर सिंह सेना में तैनात हैं। कहती हैं कि घर की अकेली बेटी होने के बावजूद पिता ने मुझे सेना में अफसर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। मैं सेना में अफसर बनकर पिता का मान बढ़ाना चाहती हूं। सेना में समय-समय पर साहसिक गतिविधियां होती हैं। इसमें हिस्सा लेना मुझे पसंद है।

नाम: सलोनी चौधरी

शहर: मेरठ

प्रेरणा: मां

शौक: पढऩा

सलोनी कहती हैं कि पिता शिक्षक हैं और दो बहनों में मैं बड़ी हूं। मां ने हमेशा यही कहा कि दोनों बेटियां बेटों से भी आगे निकलेंगी। मुझे देश की रक्षा करने के लिए उनकी प्रेरणा से ही अफसर बनने का एक मौका मिला है। कड़ी मेहनत कर मुकाम हासिल करूंगी। मुझे पढऩा पसंद है।

नाम: सिद्धी चौधरी

जगह: मेरठ

प्रेरणा: चाचाजी

शौक: पढऩा और खेलना

सिद्धी कहती हैं कि मेरे चाचा सेना में हैं। संयुक्त परिवार में रहने पर मुझे हमेशा बड़ों का स्नेह और आगे बढऩे के लिए मार्गदर्शन मिला। इतिहास बदलने के लिए मुझे भी चुनिंदा बालिकाओं के साथ मौका मिला। इस पर गर्व है। समय पर खेलकूद और नियमित रूप से पढ़ाई करना अच्छा लगता है।

भाई की राह पर बहन

उरई की रहने वाली पारूल पाल पांच बहनों में सबसे छोटी है जबकि उसका इकलौता भाई सुमित पाल यूपी सैनिक स्कूल का ही छात्र कैडेट रहा है। भाई सुमित का चयन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए हो चुका है। वह इस समय अकादमी में प्रशिक्षण हासिल कर रहा है। पारूल को भाई की तरह हर कार्य अनुशासित तरीके से करना पसंद है।

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