बिहार के बहुचर्चित पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे एक बार फिर चर्चा में है। गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वीआरएस लेकर जेडीयू में शामिल हुए थे। लेकिन अब वो राजनेता से कथावाचक बन गए है. उनकी कथा को लोग सोशल मीडिया के जरिए देख भी रहे है।
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गुप्तेश्वर पांडे आध्यात्म में लीन
गुप्तेश्वर पांडे ने गेरुआ वस्त्र पहनकर भक्ति में लीन हो गए है। उनकी कथा सुनने के लिए एक पोस्टर भी जारी किया गया है जिसमें जूम आईडी और पासकोड दिया गया है। जिसका पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वहीं अब वो आध्यात्म में लीन हो गए है। श्र्लोक और चौपाईयों को सुनाकर वो उसका अर्थ हिंदी में सुनाते है।
भागवत कथा के जरिए कानून समझाते
वहीं उनकी कथा का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है। कथा के दौरान वो कानून और आइपीसी की धाराएं भी बताते हैं। उनका कहना है आज के समय की कानून व्यवस्था इंग्लैंड की देन है. हत्या के बाद उसका उद्देश्य देखा जाता है. अगर किसी के उपर पत्थर फेंका जाए और उससे अगले की मौत हो जाती है तो उसका उद्देश्य देखा जाएगा. अगर उसके पीछे का मकसद ऐसा नहीं मिला तो वो हत्या नहीं है.
गुप्तेश्वर पांडे का कहना है कि अगर बम बारूद पिस्तौल जुटाना अपराध नहीं है, हत्या की तैयारी और हथियार जुटाना केवल हत्या का मामला नहीं होता. हत्या करने के बाद ही उसका मुकदमा दर्ज होता है. नहीं तो वो अवैध हथियार रखने का ही केवल मामला है. दरअसल पूर्व डीजीपी कथावाचन के दौरान इसी अंदाज में उदाहरण देकर भगवान और पूतना का वर्णन कर रहे थे. वो जीवन का महत्व व भागवत का संदेश बताते दिखे.
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