Nestle: बच्चों की जिंदगी से किया जा रहा खिलवाड़, चौंका देने वाला हुआ खुलासा…
Nestle Cerelac के संबंध में आई रिपोर्ट
Nestle: यदि आप भी अपने मासूम बच्चे की सेहत के लिए उसे नेस्ले ब्रांड का सेरेलैक खिला रहे हैं तो उसे आज ही छोड़ दें क्योंकि इसको लेकर जो खुलासा किया गया है वो काफी चौंका देने वाला है. दरअसल, एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु और शिशु फार्मूला निर्माता कंपनी नेस्ले भारत और अन्य एशियाई और अफ्रीकी देशों में बेचे जाने वाले शिशु दूध और अनाज उत्पादों में चीनी मिला रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्विस जांच संगठन पब्लिक कंपनी आई के प्रचारकों ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले शिशु-खाद्य उत्पादों के नमूने बेल्जियम की एक प्रयोगशाला में भेजे हैं. टीम को इसके नमूनों में सुक्रोज या शहद के रूप में अतिरिक्त चीनी मिली है. निडो एक अनुवर्ती दूध फार्मूला ब्रांड है जो एक साल से अधिक उम्र के शिशुओं को दिया जाता है. 6 महीने से दो साल की उम्र के बच्चों के लिए बनाए गए अनाज सेरेलैक में भी चीनी पाई गई. यह हैरान करने वाला है कि यूके और नेस्ले के प्रमुख यूरोपीय बाजारों में छोटे बच्चों के लिए फ़ार्मूले में कोई अतिरिक्त चीनी नहीं है. हालांकि, बड़े बच्चों के लिए बनाए गए उत्पादों में अधिक चीनी होती है, लेकिन छह महीने से एक साल के बच्चों के लिए बनाए गए उत्पादों में कोई चीनी नहीं होती है.
विश्वभर में बढ रहा मोटापे का औसत
दुनिया भर में विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मोटापा एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार सन 2000 के बाद से अफ्रीका में 5 साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या लगभग 23 प्रतिशत बढ़ी है. वहीं भारत में 12.5 मिलियन बच्चे हैं. इसमें 7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां हैं जिनकी उम्र पांच से 19 वर्ष है. लैंसेट की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार उनका वजन बहुत अधिक होगा. विश्व भर में एक अरब से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित हैं.
उल्लेखनीय है कि, उपभोक्ताओं को केवल पैकेज पर छपी पोषण संबंधी जानकारी के आधार पर स्वस्थ उत्पादों की पहचान करना मुश्किल है. खाद्य लेबल अक्सर दूध और फलों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली शर्करा को किसी भी अन्य शर्करा के समान शीर्षक के तहत सूचीबद्ध करता है.
इतने साल तक के बच्चों को न दे चीनी
भारत में बाल रोग विशेषज्ञ शिशु को दो साल का होने तक चीनी नहीं देने की सख्त सलाह देते हैं. हालांकि, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने 2 साल से ऊपर के बच्चों को चीनी या अतिरिक्त शर्करा से मिलने वाली कुल ऊर्जा का 5% से 7% से अधिक नहीं देने की सिफारिश की है.
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यूके का कहना है कि, चार साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक चीनी देने से बचना चाहिए क्योंकि यह वजन बढ़ाने और दांतों की सड़न का जिम्मेदार हो सकता है. अमेरिकी सरकार के निर्देशों के अनुसार, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अधिक शर्करा वाले खाद्य पदार्थों और पेय देने से बचना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार, यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल (मार्केट रिसर्च कंपनी) के डेटा से पता चला है कि सेरेलैक की विश्वव्यापी खुदरा बिक्री $1 बिलियन (83 खरब रुपये) से अधिक है. इसमें 40% बिक्री केवल ब्राज़ील और भारत में होती है. वहीं अधिकांश आंकड़े निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैं.