कैसे बना एवरग्रीन ट्रेंड ”नेहरू जैकेट”, पढें कहानी…

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हमारा देश आज देश के पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती मना रहा है. वहीं जब जिक्र चाचा नेहरू का हो रहा है तो उनकी जैकेट को हम कैसे भूल सकते हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जहां स्वतंत्रता संग्राम के नेता, देश के पहले प्रधानमंत्री , राजनीतिक दूरदृष्टि, खास व्यक्तिगत शैली के रूप में विशेष पहचान बनाई, तो वहीं उनके द्वारा पहने जाने वाली जैकेट ”नेहरू जैकेट” ने फैशन के क्षेत्र में एक अलग पहचान कायम की है. नेहरू जैकेट का दौर भारतीय फैशन क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ है जो एक ऐसा ट्रेंड है जो सदियों से राज कर रहा है. फैशन के बदलते और आधुनिकता के हजार विकल्पों के बीच में भी अपना एक अलग स्थान बनाए हुए है. यही वजह है कि आज हम बच्चों के चाचा नेहरू की इस  जैकेट के इतिहास के बारे में बात करें ….

”नेहरू जैकेट” का इतिहास

नेहरू जैकेट का इतिहास 1940 और 1950 के दशक से जुड़ा हुआ है, जब भारत स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर बढ़ रहा था. उस समय भारतीय नेतृत्व को एक नई पहचान की आवश्यकता थी. पंडित नेहरू की उपस्थिति और व्यक्तित्व को लेकर एक विशेष तरह की गंभीरता और सौम्यता की जरूरत महसूस की गई थी. उस दौरान यह जैकेट उनके व्यक्तित्व को दर्शाने का एक तरीका बना और जल्द ही भारतीय राजनीति में एक पहचान बन गई. हालांकि यह जैकेट पंडित नेहरू द्वारा पहना गया था, लेकिन इसका डिज़ाइन ब्रिटिश काल के औपनिवेशिक परिधान से भी प्रभावित था. यह एक तरह से भारतीय पारंपरिक कुर्ते और पश्चिमी स्टाइल के कोट का मिश्रण था. इसे विशेष रूप से उनके द्वारा अपनाया गया था, जो एक बेमिसाल संयोजन था. यह भारतीय शैली का आदान-प्रदान पश्चिमी पहनावे के साथ रहा है.

नेहरू जैकेट का डिज़ाइन

नेहरू जॉकेट आमतौर पर एक बंद कॉलर का परिधान होता था, जिसमें कोई फ्लैप नहीं हुआ करता था. इससे यह एक स्टाइलिश और सादा लुक पेश करता था. वहीं इस जैकेट की डिजाइन काफी हद तक भारतीय परिधानों से मेल खाया करती थी, क्योंकि इसमें सिलवाया हुआ वॉर्डरोब और फिटिंग की सादगी पर जोर दिया था. वैसे यह पूरी तरह से पश्चिमी शैली के कोट के समान था जिसे आमतौर पर हल्के ऊन या सूती कपड़े से तैयार किया जाता था. यह पहनने में आरामदायक भी होता था. नेहरू जैकेट के कॉलर में अक्सर एक छोटा स्टैंड कॉलर होता था, जो पंक्तियों में एक कड़े और सुव्यवस्थित लुक को दर्शाता था. इसे पंक्तियों या बटन से बंद किया जाता था और यह आमतौर पर एक “सूट” की तरह दिखता था. दूसरे शब्दों में यह एक कैजुअल रूप से अधिक आधुनिक था.

नेहरू ने पहली बार कब अपनाया यह लुक ?

नेहरू जैकेट का प्रचलन जवाहर लाल नेहरू के पीएम बनने के बाद शुरू हुआ. साल 1950 में जब वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने और राजनीतिक यात्राओं के दौरान उन्होंने इस पहनना शुरू किया तो, उनके लुक ने राजनीति ही नहीं बल्कि भारतीय समाज में अपनी गहरी छाप छोडने लगा. उनके इस लुक को अपनाने का प्रमुख कारण उनका समकालीन राजनीति और व्यक्तित्व के साथ मेल बैठाना था. नेहरू का यह पहनावा भारतीय राजनीति के एक नए युग का प्रतीक बन गया, देखते ही देखते उनका यह स्टाइल इतना लोकप्रिय हुआ कि भारत के अलावा अन्य देशों में भी इसे पहना जाने लगा.

नेहरू जैकेट्स में कई सारे कलर्स और स्टाइल मौजूद हैं. Waistcoat लेंथ से लेकर विंटेज स्टाइल तक तमाम नेहरू जैकेट्स फैशन ट्रेंड का हिस्सा हैं. बता दें कि आज भी ये जैकेट्स मेन्स फैशन का हिस्सा है. शादी हो या कोई दूसरा फंक्शन, इस जैकेट के बिना ट्रेडिशनल और फॉर्मल आउटफिट अधूरा है.

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आज भी नेहरू जैकेट का फैशन

दशकों पहले शुरू हुआ नेहरू जैकेट का दौर आज भी कायम है. आज भी कई सारे कलर्स और स्टाइल में नेहरू  जैकेट मौजूद है. वेस्टकोट लेंथ से लेकर विंटेज स्टाइल तक तमाम नेहरू जैकेट्स आज भी फैशन में ट्रेंडिग वेयर्स में से एक है. साथ ही बता दें कि, आज भी नेहरू जैकेट के बिना शादी हो या कोई फंक्शन के बिना ट्रेडिशनल और फॉर्मल आउटफिट के बिना अधूरा है. इसके साथ ही यह जैकेट न केवल पुरुषों, बल्कि महिलाओं के फैशन में भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है. महिलाएं भी सूट और प्लाउज में इस जैकेट के गले को अपना कर अपने लुक में चार चांद लगाने का काम करती हैं.

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