Navratri Specials: बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं मां स्कंदमाता…

जाने मां का अदभुत रहस्य ...?

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Navratri Specials: नवरात्रि के पवन पर्व की शुरुवात हो गई है. शनिवार यानी आज है नवरात्रि का पांचवा दिन. इस दिन हम मां स्कंदमाता की आराधना करते हैं. काशी में मां स्कंदमाता को बागेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. स्कंदमाता मंदिर के नीचे एक भव्य मां बागेश्वरी की मूर्ति है जिसका श्रृंगार पंचमी के दिन किया जाता है. उनके दर्शन का भक्तों पर बेहद अच्छा प्रभाव माना गया है. आइए जान लेते हैं कैसे हुई मां स्कंदमाता की उत्पत्ति साथ ही उनसे जुड़ी और भी बातें.

स्कंदमाता देवी की पूजा का विशेष महत्त्व

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता के दर्शन पूजन का दिन है. मां स्कंदमाता मां दुर्गा के ममतामयी रूप को कहते है और इनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है. स्वामी कार्तिकेय की माता होने के कारण मां के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है.

कैसे हुई मां स्कंदमाता की उत्पत्ति

एक बार तारकासुर नाम के एक राक्षस का आतंक बढ़ गया था जिसका अंत केवल शिव पुत्र द्वारा ही संभव था. तारकासुर राक्षस का वद्ध करने के लिए मां पार्वती ने अपने पुत्र कार्तिकेय को दैत्य तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया. जिसके लिए मां पार्वती को स्कंदमाता का रूप लेना पड़ा. यही कारण है मां को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.

मां स्कंदमाता की पूजन विधि

मां स्कंदमाता की पूजा के लिए मां को लाल चंदन, फूल, फल, सफेद और लाल फूल आदि अर्पित करते हैं. माता को लाल या पीले रंग की चुनरी अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही मां के आगे घी का दीपक जला कर पूजा मंत्र पढ़ें और उन्हें केले या किसी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद मां स्कंदमाता की कथा पढ़ें और आरती करें. मां स्कंदमाता की आराधना से बुरी शक्तियों से लड़ने की ताकत मिलती है.

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काशी में मां स्कंदमाता की विशेष मान्यता

काशी में मां स्कंदमाता का मंदिर जैतपुरा में स्थित है. काशी में मां स्कंदमाता को बागेश्वरी नाम से भी जाना जाता है, मंदिर के नीचे मां की भव्य मूर्ति है जिसका दर्शन नवरात्रि के पांचवे दिन होता हैं. काशीवाशियों की मान्यता है कि मां बुरी शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि मां तारकासुर नाम के एक राक्षस का वध करने के बाद काशी में विराजमान हो गईं, जिसके बाद से मां अपने भक्तों की रक्षा बुरी शक्तियों से कर रही हैं.

 

 

 

 

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