नवरात्र स्पेशल: माता रानी के स्वरूपों के पसंदीदा नौ रंग, इस नवरात्र करें धारण

मां दुर्गा के नौ स्वररूपों की पूजा-अर्चना के साथ हर दिन के रंग का अपना एक खास महत्व.

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नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वररूपों की पूजा-अर्चना के साथ हर दिन के रंग का अपना एक खास महत्व होता है. यह रंग न केवल माता दुर्गा के स्वरूप से जुड़े होते हैं, बल्कि इनसे हमारा जीवन भी प्रभावित होता है. रंगों का यह संयोजन हमें नवरात्र के हर दिन को नए तरीके से मनाने और अपने अंदर सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करने का अवसर देता है. नवरात्र के दिन माता के नौ स्वरूपों को नौ अलग-अलग रंग समर्पित होते हैं.

पहले दि‍न पहने नारंगी रंग के कपड़े

नवरात्र के पहले दिन पहाड़ों की बेटी शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो पवित्रता और प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं. नवरात्र के पहले दिन आपको नारंगी रंग के कपड़े पहनने चाहिए. नारंगी रंग को पहन कर पूजा करने से बहुत सकारात्मक महसूस होगा. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा.

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दूसरे रोज पहने सफेद

दूसरे दिन दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जिनका अर्थ है तपस्या करने वाली. ब्रह्मचारिणी नंगे पैर चलती हैं और पूरी तरह से सफेद कपड़े पहनती हैं.

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इसलिये, इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करें. यह रंग आपको आत्म शांति और बेहतर महसूस करवाने में सहयोग करेगा. ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली. इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली देवी. मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है.

तीसरे दिन लाल रंग

तीसरे दिन नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिन्हें माथे पर अर्धचंद्र धारण करने वाली के रूप में जाना जाता है. देवी चंद्रघंटा बाघ की सवारी करती हैं और लाल वस्त्र पहनती हैं.

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इसलिए, नवरात्रि के तीसरे दिन लाल रंग पहनें. इस रंग को पहनने से भक्त को जीवंत, जीवंत एहसास होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा संसार में न्याय व अनुशासन स्थापित करती हैं.  शिव जी से विवाह करने के बाद मां ने अपने मस्तक पर अर्धचंद्र सजाना शुरू कर दिया था, इसीलिए मां पार्वती को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है.

चौथे दिन नीला

चौथे दिन हम नवरात्र के चौथे दिन कुष्मांडा का उत्सव मनाते हैं, जिनके नाम का अर्थ है ब्रह्मांड का निर्माण करने वाली. कुष्मांडा शेर की सवारी करती हैं और शाही नीले रंग के कपड़े पहनती हैं. शाही नीला रंग शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है.

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नीला रंग समृद्धि और शान्ति लाता है. तो, चौथे दिन इस रंग के वस्त्र पहनें और माता का ध्यान करें. माता की देह की कान्ति और तेज सूर्य के समान दैदीप्यमान है. नवरात्रि के चौथे दिन इन्हीं देवी कूष्माण्डा की पूजा-अर्चना की जाती है. इनका प्रिय पुष्प लाल फूल है.

पांचवे दिन पीला

पांचवे दिन इस दिन पीला रंग पहनने से देवी स्कंदमाता से खुशियाँ, प्रचुरता और सद्भाव प्राप्त होता है. पीले रंग के कपड़े पहनने से आप खुश और सकारात्मक महसूस कर सकते हैं.

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माता का नाम स्कंद से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय का एक वैकल्पिक नाम है, और माता, जिसका अर्थ है माँ. नवदुर्गा में से एक के रूप में, स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन होती है.

छठवें दिन हरा

छठवें दिन नवरात्रि के छठवें दिन देवी दुर्गा का छठे अवतार देवी कात्यायनी की पूजा होती है, जो साहस और सफलता की प्रतीक मानी जाती हैं. इसलिए इस दिन हरा रंग पहना जाता है. यह रंग प्रकृति से जुड़ा है और यह सभी चीज़ों के फलदायी, शांतिपूर्ण और स्थिर होने का संकेत देता है.

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नवदुर्गाओं में यह छठी हैं, हिंदू देवी दुर्गा के नौ रूप जिनकी नवरात्रि के त्यौहार के दौरान पूजा की जाती है.

सातवें दिन भूरा

सातवें दिन कालरात्र समय की मृत्यु के रूप में नवरात्र के सातवें दिन पूजनीय है. देवी दुर्गा के सातवें अवतार के रूप में, वो मुक्ति और विनाश दोनों का प्रतीक हैं. वह गधे की सवारी करती हैं और भूरे रंग के कपड़े पहनती हैं.

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इस दिन स्लेटी रंग पहनें. यह आपकी सोच को संतुलित करने में मदद करेगा. इनके उपासक को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते. सभी व्याधियों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए माँ कालरात्रि की आराधना विशेष फलदायी होती है.

आठवें दिन बैंगनी

आठवें दिन महागौरी देवी दुर्गा का आठवां अवतार हैं और अनुग्रह और सुंदरता का प्रतीक हैं. वह बैंगनी रंग पहनती है और बैल की सवारी करती है. इसलिए, आठवें दिन बैंगनी रंग का उपयोग करें.

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इससे आपको समृद्धि और सफलता प्राप्त हो सकती है. माना जाता है कि महागौरी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हैं.

नौवें दिन के बारे में 

सभी सिद्धियाँ को प्रदान करने वाली सिद्धिदात्री देवी, जिन्हें नौवें दिन पूजा जाता है. वह कमल या सिंह पर सवार होती हैं और मोर के हरे रंग से सजी होती हैं.

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इसलिए, नवरात्रि के नौवें दिन मोर वाला हरा रंग पहना जाता है, जो समृद्धि से जुड़ाव रखता है. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं. मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना अन्य दिनों की तरह करें. लेकिन इस दिन परिवार के साथ हवन का भी विशेष महत्व है.

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