हर घर तिरंगा: छह बार बदल चुका है राष्ट्रीय ध्वज, कुछ ऐसी थी स्वतंत्रता से पहले के पांच झंडों की कहानी

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इस साल भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. पिछले 15 अगस्त, 2021 से ही पूरे भारत में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी की अपील के अंतर्गत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जा रहा है. मगर, क्या आपको पता है कि बीते 116 सालों में राष्ट्रीय ध्वज छह बार बदला गया है? अगर नहीं, तो आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देशवासियों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि राष्ट्रीय ध्वज में क्या अहम पड़ाव रहे और कब, क्या बदलाव किये गए.

आइए नजर डालते हैं राष्ट्रीय ध्वज के सफर पर…

  • देश का पहला प्रस्तावित झंडा 7 अगस्त, 1906 को पारसी बागान चौक, कलकत्ता (अब ग्रीन पार्क, कोलकाता) में फहराया गया था. इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं. ऊपर हरे रंग वाली पट्टी में 8 सफेद कमल के फूल थे. मध्य पीले रंग वाली पट्टी में नीले रंग से वंदे मातरम् लिखा हुआ था. नीचे लाल रंग वाली पट्टी में सफेद रंग से चांद और सूरज के चित्र अंकित थे.

  • करीब एक साल बाद साल 1907 में देश का दूसरा नया झंडा प्रस्तावित किया गया. पहले झंडे में कुछ बदलाव करके मैडम भीकाजीकामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों ने मिलकर पेरिस में भारत का नया झंडा फहराया था. यह झंडा भी देखने में काफी हद तक पहले वाले के जैसा ही था. लेकिन इसमें केसरिया, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थी. बीच में वंदे मातरम् लिखा था. वहीं, इसमें चांद और सूरज के साथ 8 सितारे भी बने थे.

  • करीब एक दशक बाद साल 1917 में देश का नया झंडा डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था. तीसरी बार में प्रस्तावित हुए इस नये झंडे में 5 लाल और 4 हरे रंग की पट्टियां थीं. झंडे के अंत की ओर काले रंग में त्रिकोणनुमा आकृति बनी थी. बाएं तरफ के कोने में यूनियन जैक भी था. जबकि एक चांद और तारे के साथ इसमें सप्तऋषि को दर्शाते 7 तारे भी शामिल किए गए थे.

  • करीब चार साल बाद साल 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को एक झंडा दिया था. जोकि हरे और लाल रंग का बना हुआ था. गांधी जी को यह पसंद आया और उन्होंने इसमें कुछ बदलाव करवाए. गांधी जी ने इसमें सफेद रंग की एक पट्टी और जुड़वाई थी. देश के विकास को दर्शाने के लिए बीच में चलता हुआ चरखा भी दिखाया गया. फिर जाकर इस झंडे को आजाद भारत के ध्वज के लिए स्वीकार किया गया.

  • करीब एक दशक बाद साल 1931 में प्रस्तावित नये झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद और अंत में हरे रंग की पट्टी बनाई गई थी. इसमें बीच की सफेद पट्टी में छोटे आकार में पूरा चरखा भी दर्शाया गया था. सफेद पट्टी में चरखा राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक बताया गया. इस नये झंडे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अपनाया था.

  • इसके बाद जब आखिरकार साल 1947 में भारत देश आजाद हुआ तो देश को तिरंगा झंडा मिला. साल 1931 में बने झंडे को ही एक बदलाव के साथ 22 जुलाई, 1947 में संविधान सभा की बैठक में आजाद भारत का नया राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया. इस ध्वज में चरखे की जगह मौर्य सम्राट अशोक के धर्म चक्र को गहरे नीले रंग में दिखाया गया है. 24 तीलियों वाले चक्र को विधि का चक्र भी कहते हैं. इस ध्वज को पिंगली वैंकेया ने तैयार किया था. इसमें ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टी है. तीनों समानुपात में है. इसकी लंबाई-चौड़ाई दो गुणा तीन है.

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