को-विन पोर्टल में ऐड हुई नेज़ल वैक्सीन, जानिए कैसे होता है इस्तेमाल और कितना है कारगर
टाइम टू टाइम जैसे-जैसे कोविड वायरस के नए वैरिएंट्स आ रहे हैं। वैसे-वैसे साइंटिस्ट्स भी वैक्सीन और इसके इलाज में अपडेट हो रहे हैं। हम सभी जानते हैं, कोविड वायरल लंग्स पर अटैक करता है। वायरस बॉडी में नाक के जरिये जाता है। इसके लिए अब साइंटिस्ट्स ने नेज़ल वैक्सीन भी बना दी है, जो डायरेक्ट हमारे लंग्स में जाएगी और कोवि़ड से लड़ने में हेल्पफुल होगी। अब भारत ने भी नेज़ल वैक्सीन (Nasal Vaccine) को को-विन पोर्टल में ऐड कर लिया है। पर काफी लोग कन्फ्यूज है इस नेज़ल वैक्सीन को लेकर तो चलिये समझते हैं क्या है नेज़ल वैक्सीन कैसे होता है इसका इस्तेमाल, कितना कारगर होगा ये।
भारत का iNCOVACC नेज़ल वैक्सीन…
Nasal Vaccine बूस्टर डोज़ की तरह है। भारतीय नेज़ल वैक्सीन का नाम iNCOVACC है, जिसे बायोटेक और अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन को नाक से दिया जाएगा। क्योंकि अब तक जितने भी रिसर्च हुए हैं उनमे ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस नाक से शरीर में जाता है।
4 हजार लोगों पर हुआ था ट्रायल…
टियर्स पर क्लीनिकल ट्रायल किया है. इनमें से किसी पर इसका कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. अगस्त महीने में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के बाद साफ हो गया था कि BBV154 वैक्सीन इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है BBV154 के बारे में भारत बायोटेक ने बताया है कि इस वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है. यह भी कहा गया है कि यह वैक्सीन किफायती है जो कि कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए ठीक रहेगी. बताया गया है कि यह वैक्सीन इंफेक्शन और संक्रमण को कम करेगी.
नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है…
कोरोना समेत ज्यादातर वायरस म्युकोसा के जरिए शरीर में जाते हैं. म्युकोसा नाक, फेफड़ों, पाचन तंत्र में पाया जाने वाला चिपचिपा पदार्थ होता. नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्युन रिस्पॉन्स पैदा करती है, जबकि मस्कुलर वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती.
कौन लगवा सकता है ये वैक्सीन…
ये वैक्सीन सिर्फ बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी. यानी, जो लोग पहले वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं, उन्हें ही ये वैक्सीन दी जाएगी. कोविन पोर्टल पर मौजूद डेटा बताता है कि अब तक 95.10 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीन की दो डोज ले चुके हैं. लेकिन सिर्फ 22.20 करोड़ लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है.
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