नर्मदा घाटी का हाल रुला देने वाला

0

मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के आबाद गांव, अब धीरे-धीरे जलमग्न हो रहे हैं, गलियां को पानी ने ढक लिया है, तो घरों, देवालायों से लेकर बाजार, स्कूल व स्वास्थ्य केंद्रों के चारों ओर पानी घेरा डाल चुका है, मगर घर के भीतर बैठे लोग अब भी आस लाए हैं कि मानव निर्मित यह विपदा टल जाएगी। बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक की आंसुओं से डबडबाई आंखें, चेहरे पर छाई मासूमी और बाजी हारने का मलाल औरों को भी रुला देने वाला है।

read more :  अब बिहार की जनता को क्या जवाब दोगे नीतीश बाबू’ : पप्पू यादव

आज वहीं जीवनदायनी उसके जीवन को संकट में डाल रही है

धार जिले के निसरपुर के बड़े हिस्से को नर्मदा नदी के पानी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। धीरे-धीरे जलस्तर बढ़ रहा हैं। यहां के कई परिवारों के लोग घरों में दुबके हैं। इसी गांव का मोहन प्रजापति पैर में चोट होने के कारण चल नहीं सकता है, वह घर के बाहर खटोली पर बैठा है और अपने आसपास आ चुका पानी उसके सामने डरावनी तस्वीर पैदा कर देता है।

वह हर तरफ निहारता है, उसे बचपन की यादें ताजा हो जाती है, कि कभी इन गलियों में खेले हैं, पेड़ों की छांव में बैठे है, आज वहीं जीवनदायनी उसके जीवन को संकट में डाल रही है।

बांध का लोकार्पण मध्यप्रदेश में नई मुसीबत बढ़ा देगा

मोहन अकेला ऐसा नहीं है जो वक्त को कोस रहा है, सरकार की पहल के खिलाफ है। 192 गांव और एक नगर में रहने वाले हर व्यक्ति के दिल से कमोबेश सरकारों के खिलाफ बद्दुआ निकल रही है। प्रभावितों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन का जश्न उनके लिए मरण दिवस साबित हो रहा है, गुजरात को पानी देने के लिए उनके जीवन को संकट में डाल दिया गया है।

ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के गांवों में तबाही बरपा रही है। प्रधानमंत्री मोदी अपने जन्मदिन पर रविवार को इस बांध का लोकार्पण मध्यप्रदेश में नई मुसीबत बढ़ा देगा।

चिंता है तो गुजरात के लोगों की

बांध प्रभावितों की बीते साढ़े तीन दशक से लड़ाई लड़ रहीं मेधा पाटकर शुक्रवार दोपहर से छोटा बरदा गांव में नर्मदा नदी के घाट की सीढ़ी पर लगभग 35 लोगों के साथ जल सत्याग्रह कर रही हैं। उनका कहना है कि गुजरात के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश के 40 हजार परिवारों का जीवन खत्म करने पर तुले हैं और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौन हैं।

कहीं घरों में बैठे लोगों की जलहत्या न हो जाए

छोटा बरदा गांव के नरेंद्र यादव की मानें तो लोग खेती, मछली पालन, पशुपालन से अपना जीवन चलते थे, उनकी जिंदगी खुशहाल थी, नर्मदा नदी का किनारा उन जैसे हजारों परिवार के लिए वरदान था, मगर सरकार की जिद ने उनके खुशहाल जीवन को छीन लिया है। वे कहां जाएंगे, कौन सा रोजगार करके अपना परिवार पालेंगे। शिवराज सरकार को इसकी चिंता नहीं है, चिंता है तो गुजरात के लोगों की।
कहीं घरों में बैठे लोगों की जलहत्या न हो जाए

शिवराज सरकार को इसकी चिंता नहीं है

सामाजिक कार्यकर्ता अमूल्य निधि बताते हैं कि नर्मदा घाटी के इलाके में बहुसंख्यक जनजातीय वर्ग के लोग हैं, इन भोले भाले लोगों की जिंदगी जंगलों की वनोपज के जरिए चलती थी, अब वे अपने गांव से उजड़ रहे हैं, सवाल उठता है कि उनकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी।

सरकार तो फर्जी आंकड़ों के जरिए पुनर्वास पूरा होने का दावा किए जा रही है, मगर हकीकत ठीक उलट है। अब भी हजारों परिवार गांव में है, आशंका तो इस बात की है कि कहीं घरों में बैठे लोगों की जलहत्या न हो जाए।

70 फीसदी हिस्सा सूखे की जद में है

मध्यप्रदेश का लगभग 70 फीसदी हिस्सा सूखे की जद में है, मगर नर्मदा नदी में बाढ़ आई हुई है, यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, यह चमत्कार मध्यप्रदेश सरकार की वजह से हुआ है, उसने कई बांधों में पानी कम होने के बावजूद गेट खुलवा दिए, ताकि सरदार सरोवर में ज्यादा पानी पहुंच सके। इसके चलते बैक वाटर गांव को डुबाने लगा है। दुनिया में शायद ही ऐसी कोई सरकार हुई होगी, जिसने अपने राज्य के लोगों के हितों की चिंता को दरकिनार किया हो।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More