नरक चतुर्दशी आज, जानें यम का दीये का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व…..

जाने किस वजह से मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ?

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पांच दिवसीय पर्व दिवाली की 10 तारीख को धूमधाम से मनाए गए धनतेरस के त्यौहार के साथ शुरूआत हो गयी है, आज देश भर में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का पर्व मना रहे है. इस साल नरक चतुर्दशी का पर्व 11 नवंबर को मनाया जा रहा है. इसके साथ ही जहां बड़ी दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, वही छोटी दिवाली के दिन यम की पूजा की जाती है, लोग आज के दिन यम के नाम का दीया जलाते है.

यही वजह की नरक चतुर्दशी को यम चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, इसके साथ ही इस पर्व पर शाम के समय घर में यम के नाम का एक दीपक जलाया जाता है, यह दीपक जलाने के पीछे की मान्यता है कि, घर में यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है.

छोटी दिवाली का शुभ मुर्हूत

11 नवंबर यानी आज देश भर में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाई जा रही है, इसके साथ ही नरक चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 12 नवंबर को अभ्यांग स्नान मुहूर्त सुबह 5 बजे 28 मिनट से 6 बजे 41 मिनट तक रहेगा.

यम का दीपक जलाने का शुभ मुर्हूत

आज यम दीपक जलाने के दो मुहूर्त बन रहे है, जिसमें से पहला मुर्हूत प्रदोष और वृषभ प्रदोष काल शाम पांच बजे 29 मिनट से आठ बजे सात मिनट तक रहेगा. साथ ही दूसरा मुर्हूत वृषभ काल 05 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगा और 07 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा.

छोटी दिवाली को क्यों कहा जाता नरक चतुर्दशी ?

यह सवाल ज्यादातर लोगों के मन में उठता है कि, छोटी दिवाली को आखिर नरक चतुर्दशी के नाम से क्यों जाना जाता है? तो आइए जानते है क्यों कहा जाता है इस दिन को नरक चतुर्दशी, दरअसल, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने इस दिन राक्षस नरकासुर का वध किया था. आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर के कैदखाने से 16 हजार से अधिक महिलाओं उसकी कैद से मुक्ति दिलाकर, उसका वध किया था. तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहते हैं.

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छोटी दिवाली पूजन विधि

नरक चतुर्दशी, या छोटी दिवाली के दिन सुबह तिल का तेल लगाकर स्नान करने से भगवान कृष्ण को रूप और सुंदरता देते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान, यमराज और मां काली को पूजना चाहिए, इसके साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन पूजन करते समय उत्तर पूर्व या ईशान कोण में मुख रखें और एक चौकी पर पूजन मुहूर्त में पंचदेवों (श्रीगणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य) की स्थापना करें. इसके बाद गंगा जल से पंचदेवों को स्नान करा कर, रोली या चंदन से तिलक करें.

उन्हें धूप, दीपक और फूल चढ़ाकर उनके आवहन मंत्रों का जाप करें और सभी देवों को जनेऊ, कलावा, कपड़े और नैवेद्य देना चाहिए. इसके बाद सभी देवों की स्तुति और मंत्र पढ़ें, फिर पूजन को आरती करके समाप्त करना चाहिए. इसके साथ ही पूजन के बाद यम दीपक जलाए, यह दीपक आटे से एक चौमुखा दीपक बनाया जाता है और घर के बाहर चौखट पर जलाया जाता है. इसके साथ ही छोटी दिवाली पर दीपक जलाने से दुख-दरिद्रता घर से दूर होती है.

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