आकर्षण का केंद्र बना कांवड़ियों का ‘पाग ‘ फैशन
बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर (बाबा बैद्यनाथधाम) कांवड़िया मार्ग ‘पाग बम’, ‘बोल बम’ के उच्चारण से गूंजयमान हो रहा है। बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए पाग कांवड़ियों का एक समूह नए तेवर में दिखाई दे रहा है। इस कारण पाग कांवड़िए मार्ग में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
‘पाग’ मिथिला की सांस्कृतिक पहचान
मिथिला की सांस्कृतिक पहचान पाग पहनकर कांवड़िए भगवान शिव को यह संदेश देंगे कि जिस मिथिला में वे कभी उगना के रूप में आए थे, उस मिथिला की दिशा और दशा बदलने के लिए भोले बाबा की एक नजर की जरूरत है। गौरतलब है कि ‘पाग’ मिथिला की सांस्कृतिक पहचान है।
‘पाग’ पहनकर सुल्तानगंज पहुंचे
दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन से लगभग 500 कांवड़िए अपने सिर पर मिथिला का सांस्कृतिक चिन्ह ‘पाग’ पहनकर सुल्तानगंज पहुंचे और यहां सावन पूर्णिमा यानी सोमवार को उत्तरवाहिनी गंगा से पवित्र जल लेकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा बाबा दरबार तक के लिए प्रारंभ की। संभावना है कि ये सभी लोग बुधवार को बाबा दरबार पहुंचकर ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करेंगे। इस समूह में कई महिलाएं भी शामिल हैं।
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गौरतलब है कि मिथिला के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मिथिला लोक फाउंडेशन पाग बचाओ अभियान चला रहा है। मिथिला की ओर बाबा भोलेनाथ को आकर्षित करने के लिए इस बार पाग पहनकर कांवड़िए भोलेशंकर के चरण में पहुंचेंगे।
मिथिला की पहचान पाग, पान, मखाना और मछली से रही है
पाग कांवड़िया समूह में शामिल सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विनोद झा ने मीडिया को बताया कि पाग मिथिला की सांस्कृतिक पहचान रही है। उन्होंने कहा, “आज पाग की पहचान देश-विदेश तक पहुंच गई है। इस कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो रही। रास्ते में लोग भी पाग के विषय में जानकारी ले रहे हैं।” उन्होंने कहा कि इस वर्ष दिल्ली से पाग कांवड़िए की शुरुआत हुई है, जो काफी प्रशंसनीय है। यात्रा में शामिल अरविंद कुमार ने मीडिया को बताया, “मिथिला की पहचान पाग, पान, मखाना और मछली से रही है, लेकिन इसमें पाग पीछे छूट रहा था। ऐसे में मिथिला फाउंडेशन के डॉ़ बीरबल झा ने पाग बचाने की मुहिम प्रारंभ की है।”
इस वर्ष यह दिल्ली से प्रारंभ हुई
डॉ़ बीरबल झा बताते हैं, “मिथिला के महाकवि विद्यापति के घर महादेव साक्षात उगना के रूप में आए थे। विद्यापति शिव के परम भक्त थे, एवं शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मिथिला आए थे।”उन्होंने कहा कि आज मिथिला के लोगों को एक बार फिर भगवान शिव को खुश करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सावन में बिहार के मधुबनी से पाग कांवड़िया यात्रा प्रारंभ की गई थी, लेकिन इस वर्ष यह दिल्ली से प्रारंभ हुई।
लाखों की संख्या में शिव भक्त कांवड़ लेकर देवघर जाते हैं
उन्होंने कहा, “विश्व में हर जगह मिथिलावासी हैं और हमारा प्रयास है कि हम ज्यादा से ज्यादा मिथिलावासियों को संगठित करें, ताकि मिथिला का विकास और ज्यादा तेजी से हो सके। मिथिलालोक फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है, जो मिथिला के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए काम करती है।”उल्लेखनीय है कि सुल्तानगंज से जल लेकर बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पित करने का विशेष महत्व है। लाखों की संख्या में शिव भक्त कांवड़ लेकर देवघर जाते हैं।
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