मुनव्वर फारूकी की कविता ने पसीजा लोगों का दिल, ”मुबारक हो आपके घर बेटी हुई है”

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कोलकाता रेप केस के बाद जहां देश में चारों तरह रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं, वहीं देशवासियों में इस केस को लेकर दुख और गुस्सा नजर आ रहा है. ऐसे में कई सारी हस्तियों ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. ऐसे में स्वतंत्रता दिवस पर आयुष्मान ने एक भावुक कविता साझा की थी. इसी कड़ी में अब बिग बॉस 17 के विनर मुनव्वर फारूकी ने भी मन को झकझोर देने वाली एक भावुक कविता साझा की है. उन्होंने इस कविता में अपने शब्दों को इतनी खूबसूरती से पिरोया है कि सुनने वाले किसी भी व्यक्ति का दिल पसीज जाए. साथ ही वो सोचने पर मजबूर हो जाए कि क्यों रेप होते हैं और आजाद भारत में किन दिक्कतों को आज भी सामना कर रही हैं हमारी बेटियां …

मुबारक हो बेटी हुई है

इस कविता को मुनव्वर फारूकी ने अपने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर अपने आधिकारिक अकाउंट से वीडियो से माध्यम से साझा की है. इस कविता के माध्यम से मुनव्वर ने बेटियों के साथ समाज की बेटियों के प्रति घटिया सोच पर भी चोट करने का प्रयास किया है. वहीं उन लोगों को भी जवाब दिया है जो कहते हैं कि ताली एक हाथ से नहीं बजती है. साथ ही मुनव्वर ने इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है कि, ‘मुबारक हो बेटी हुई है, जो हम सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, ये तो रिपोर्टेड है. सोचो जो रिपोर्ट नहीं होता ? सोचो इतनी टेक्नोलॉजी और इतना कुछ हासिल करने के बाद हम कहां हैं ? सियासत को एक-दूसरे से लड़ने से या धर्म के नाम पर लड़ाने से फुरसत होती तो शायद 78 साल के बाद भी ये हाल न होता.’

 

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समाज से कई सवाल करती हैं मुनव्वर की कविता

मुनव्वर की यह कविता महिलाओं के प्रति समाज की सोच को बयान करती हैं. उनकी कविता कहती है कि, जहां समाज एक तरफ बेटियों को देवी का रूप कहता है. मां लक्ष्मी का स्वरूप कहता है. कहता है समृद्धि का प्रतीक फिर भी हिंसा के लिए एक वर्ग उन्हें ही चुनता है. वे समाज के इस सामाजिक पाखंड पर सवाल खड़े करते हैं और कहते हैं कि समाज की यह छोटे कपड़े, देर रात घुमना जैसे की वजहों से जिनसे लड़की गलत ठहराया जाता है. वह सोच मर्दों को ये सब करने की इजाजत देती है. जब महिलाओं को पूजा जाता है, तो उनकी गरिमा लगातार खतरे में क्यों है ?

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यूजर्स हुए भावुक

अपनी कॉमेडी से सबको गुदगुदाने वाले मुनव्वर ने आज इस कविता से अपने फैंस को भावुक कर दिया है. इस पोस्ट का कमेंट बॉक्स भावुक कमेंट से भर गया है. इसमें एक यूजर लिखता है कि, अल्लाह मेरी सभी मां,बहनों की हिफाज़त करें, वहीं दूसरा यूजर लिखता है ऐसे ही आजाद है हमारा भारत, वहीं एक तीसरे यूजर ने लिखा है कि बिल्कुल सच्ची पंक्तियां, चौथे यूजर ने लिखा है कि आज स्वतंत्रता दिवस पर भी कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा है.

आयुष्मान ने भी साझा की थी भावुक कविता

स्वतंत्रता दिवस पर आयुष्मान ने भी कोलकाता रेप केस पर एक भावुक कविता साझा की थी. जिसका शीर्षक उन्होंने”काश ! मैं लड़का होती …” रखा है. इस भावपूर्ण कविता को आयुष्मान ने अपने इस्टाग्राम के ऑफिशियल पेज से एक वीडियो के माध्यम से साझा किया था. यह कविता उस पीडिता के तमाम सवालों , दर्द और लड़की होने की अफसोस से भरी हुई थी. शायद यही वजह है कि आयुष्मान ने इस कविता का कैप्शन भी ”काश ! मैं लड़का होती …” दिया है. इस कविता में आयुष्मान ने लड़कियों की सुरक्षा, उनपर लगी पाबंदिया और उनके साथ होते अपराध के खौफ का उल्लेख किया है. इस कविता के माध्यम से आयुष्मान ने रेपिस्ट और साथ-साथ पूरे पुरूष समाज पर सवाल खड़े किए थे.

 

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क्या है पूरा मामला ?

पश्चिम बंगाल के उत्तर कोलकाता स्थित आरजी कर सरकार अस्पताल में बीते 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का सेमीनॉर हॉल से क्षत विक्षत शव मिलने के बाद से बवाल खड़ा हो गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ ने सिर्फ बलात्कार किया गया है, बल्कि उसके साथ जघन्यता की सारी हदें भी पार की गयी . इस मामले में एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया गया है.

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