आखिर क्यों मुहर्रम में मातम मनाते हैं शिया मुसलमान ?
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से होती है। शिया मुसलमानों के लिए ये महीना बेहद गम भरा होता है। जब भी मुहर्रम की बात होती है तो सबसे पहले जिक्र कर्बला का किया जाता है।
इसी महीने में कर्बला में जंग हुई थी, जिसमें पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की मौत हो गई थी। तब से ही इस महीने को मातम के महीने के तौर पर मनाया जाता है।
कहा जाता है हर कर्बला के बाद इस्लाम जिंदा होता है। बताया जाता है कि यह जंग करीब 1400 साल पहले हुई थी। यह जंग एक मुस्लिम शासक की खलीफा माने जाने की लालसा और उसके द्वारा इमाम हुसैन पर किए गए बेरहम अत्याचार के कारण हुई थी।
हुसैन की शहादत मुहर्रम महीने की 10 तारीख को हुई थी जो इस साल 20 अगस्त यानि आज पड़ी है। आज पूरे देश में मुहर्रम मनाया जा रहा है।
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