बादलों में छुपा चांद, नहीं हो सका दीदार, मोहर्रम की पहली तारीख 8 जुलाई को

8 जुलाई को मोहर्रम की पहली तारीख,17 को यौमे आशूरा

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वाराणसी में शनिवार को 29 वीं ईदुल अजहा का चांद बादल और धुंध के चलते नहीं दिखाई दिया. इसलिए मोहर्रम की पहली तारीख 8 जुलाई को होगी व 17 को यौमे आशूरा मनाया जाएगा. शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने बताया कि 1446 हिजरी मोहर्रम के चांद का कहीं भी कोई दीदार नहीं हुआ और ना कहीं से इसकी तस्दीक हुई है. इस कारण मोहर्रम की पहली तारीख 8 जुलाई सोमवार को मानाई जाएगी. उस हिसाब से 17 जुलाई को इमाम हुसैन की शहादत का दिन यानी आशुरा मनाया जाएगा. इस सिलसिले से इस्तकबाले अय्याम ए अजा़ की मजलिस का सिलसिला आज से शुरू हो गया है और यह सिलसिला कल भी जारी रहेगा. शहर भर के इमाम चौक, दरगाह, इमामबाड़े में पूरी तैयारी हो चुकी है इमाम को याद करने और उनका गम मनाने और उन्हें खिराजे अकीकत पेश करने के लिए लोग तैयार हो गए हैं. रविवार को 30 वीं का चांद देखने की औपचारिकता पूरी की जाएगी और सोमवार 8 जुलाई से विधिवत मजलिस शुरू हो जाएगी. सदर इमामबाड़े में 1446 हिजरी मोहर्रम 1 मोहर्रम का जुलूस हाजी सैयद फरमान हैदर के संयोजन में और सज्जाद अली गुर्जर के संयोजन में उठाया जाएगा.

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कर्बला की याद में फिजा में बुलंद हुए दर्द भरे नौहे

मजलिस इस्तेक़बाल अय्याम ए अज़ा का आयोजन बाद नमाज़े माग़रिबैन मस्जिद मीर नादे अली, चाहमामा में किया गया. इस मजलिस के बाद अज़ाख़ाना ए मयकश ओ अफ़ाक़ मरहूम, मुस्लिम मुसाफ़िरख़ाने के सामने, मजलिसे अज़ा का एहतेमाम किया गया. मजलिस में कर्बला के शहीदों और असीरो की जिंदगी पर रौशनी डाली गई. ऐसे ही अज़ाख़ाना ए अमजदिया, कच्चीसराय में मजलिसे अज़ा का एहतमाम किया गया. एक अन्य मजलिस भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ां मरहूम के भीखाशाह गली स्थित दौलतखाने पर हुई जिसमें शहीदाने कर्बला की याद में दर्द भरे नौहे फिजा में बुलंद हुए. ऐसे ही अर्दली बाजार, दोषीपुरा, चौहट्टा लाल खां, पठानी टोला, शिवाला, गौरीगंज, पितरकुंडा, फाटक शेख़ सलीम आदि में भी मजलिसे आयोजित की गईं.

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