मोहरात्रि में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जागेंगे महादेव , करेंगे लड्डू गोपाल का स्वागत
मोहरात्रि में मायाधिपति के जन्म पर महादेव जागेंगे. इसके साथ ही मंगला आरती में श्रद्धालुओं को आदियोगी संग योगेश्वर श्रीकृष्ण के दर्शन भी प्राप्त होंगे. यह सुयोग श्री काशी विश्वनाथ धाम में लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव पर प्राप्त होगा.
कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर काशी नगरी मथुरा-ब्रज में मिल गयी है. घरों और मंदिरों में नंदलाल के जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. ज्योतिष विधि-विधान के अनुसार शैव और वैष्णव सोमवार को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
वाराणसी में जन्माष्टमी की झांकियां
जहां घरों में कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी सजाने के लिए लोग देर शाम तक खरीदारी करते रहे. कोई उनका पोशाक पसंद कर रहा था तो कोई उनकी बांसुरी और मोर मुकुट चुनने में लगा हुआ था. श्रृंगार से जुड़े सामानो मानों के साथ पालना, परलंग और खिलौना आदि की खूब खरीदारी हुई.
काशी विश्वनाथ धाम में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां
विश्वनाथ धाम में स्थित मंदिर चौक में श्री लड्डू गोपाल के अभिषेक एवं जन्म अनुष्ठान का आयोजन 26 अगस्त को किया गया है. सोमवार की रात 11:00 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि के बाद 12:05 तक विधि-विधान पूर्वक अनुष्ठान पूरा किया जाएगा.
भगवान के जन्मोत्सव के बाद सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद बांटा जाएगा. वहीं, 27 अगस्त को श्री लड्डू गोपाल भगवान श्री काशी विश्वनाथ महादेव की मंगला आरती में भी शामिल होंगे. मंगला आरती में आने वाले श्रद्धालु श्री विश्वेश्वर के साथ ही लड्डू गोपाल के भी दर्शनों का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे.
जयंती योग विशिष्ट
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का जन्माष्टमी के रूप में मान है. इस दिन सनातन धर्मावलंबी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं. इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और जयंती का भेद दो प्रकार का होता है. इसमें भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी के नाम से और अष्टमी यदि रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो जयंती नामक योग का निर्माण करती है. यह जयंती व्रत अन्य व्रत की अपेक्षा विशिष्ट फल प्रदान करने वाली होती है. विष्णु रहस्य में कहा गया है कि ‘अष्टमी कृष्ण पक्षस्य रोहिणीऋक्षसंयुता भवेत प्रौष्ठपदे मासी जयंती नाम सास्मृता…’।