समान नागरिक संहिता पर फिर से चर्चा तेज, प्रधानमंत्री मोदी ने दिए अहम संकेत
लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाने का प्रस्ताव, क्या यूसीसी का हिस्सा बनेगी?
नई दिल्ली. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक बार फिर से चर्चा में है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान समान नागरिक संहिता के संवैधानिक महत्व की बात की तथा इसके जल्द लागू होने के संकेत दिए हैं. यह मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र का अहम हिस्सा भी रहा है. चुनाव के बाद प्रधानमंत्री ने इसकी महत्ता की बात कहकर संकेत दिया है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाने की तैयारी में है.
क्या है समान नागरिक संहिता?
संविधान का अनुच्छेद-44 पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करता है. इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, या समुदाय से संबंधित हों. इसमें शादी, तलाक, भरण-पोषण, गोद लेना, वसीयत और संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़े मामलों पर एक समान कानून लागू करने की बात कही गई है. वर्तमान में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ प्रचलित हैं, जिनके आधार पर ये मामले तय होते हैं.
फिलहाल, देश में गोवा ऐसा राज्य है जहां समान नागरिक संहिता पहले से ही लागू है. गोवा को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. वहीं, गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार भी मिला हुआ है.
इसके बाद उत्तराखंड में 7 फरवरी 2024 को यूसीसी लागू हुआ था.
प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के दौरान कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ को खत्म करने की वकालत की थी. संविधान सभा के सदस्य केएम मुंशी ने भी इसे राष्ट्रीय एकता और आधुनिकता के लिए आवश्यक बताया था.
पहले से तय कुछ अहम मुद्दे
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला कानून पारित किया.
इसके बाद 2021 में सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने का क्रांतिकारी प्रस्तावित कानून एवं बाल विवाह निषेध विधेयक – 2021 प्रस्तावित किया था. हालांकि, यह विधेयक 17वीं लोकसभा के समाप्त होने के साथ लैप्स हो गया. हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने इस पर चर्चा की थी, लेकिन नए विधेयक को लेकर कोई संकेत नहीं मिला.
क्या यह विधेयक यूसीसी का हिस्सा बनेगा?
ऐसा माना जा रहा है कि लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाने से जुड़ा यह प्रस्ताव समान नागरिक संहिता का हिस्सा हो सकता है. इस विधेयक की खासियत यह थी कि यह सभी धर्मों और वर्गों पर समान रूप से लागू होना था. चूंकि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य भी यही है, इसलिए इसे यूसीसी में शामिल किए जाने की संभावना है.