पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों से आज राहत देगी मोदी सरकार !
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग से दबाव में आई सरकार आज कुछ राहत का ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, आज शाम पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सरकारी तेल कंपनियों के साथ बैठक करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि बैठक के बाद सरकार खुशखबरी दे सकती है। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर कुछ नहीं कहा गया है। फिलहाल इसको लेकर अटकलों का दौर जारी है कि सरकार कितनी और किस रास्ते राहत देगी।
मुंबई में सबसे महंगा हुआ पेट्रोल
इस बीच पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार नौवें दिन बढ़ोतरी हुई। मंगलवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 76.87 पैसे प्रति लीटर है तो डीजल 68.08 रुपये लीटर बिक रहा है। देश की आर्थिक राजधानी में पेट्रोल 84.70 रुपये लीटर और डीजल 72.48 रुपये लीटर है। कोलकाता में 1 लीटर पेट्रोल के लिए ग्राहकों को 79.53 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं तो डीजल 70.63 रुपये लीटर है।
कंपनियों को दोबारा सब्सिडी शेयर करना पडे़गा?
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि सरकारी तेल उत्पादक ओनजीसी और ऑइल इंडिया लिमिटेड से सरकार दोबारा फ्यूल सब्सिडी का बोझ शेयर करने को कह सकती है। ओनएनजीसी और ओआईएल ने 13 साल से अधिक समय तक अंडर रिकवरी का 40 फीसदी तक हिस्सा साझा किया। तब पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतें सरकार के नियंत्रण में थीं और इसे रिटेलर इसे कम कीमत पर बेच रहे थे। सब्सिडी शेयरिंग का यह बोझ सरकारी कंपनियों से 2015 में खत्म हो गया था।
2010 में किया गया था बाजार के हवाले
जून 2010 में सरकार ने पेट्रोल और अक्टूबर 2014 में डीजल की कीमतों को नियंत्रण से मुक्त कर दिया था। सरकार अब केवल एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी देती है। अगस्त 2017 के बाद सरकार ने चरणबद्ध तरीके से सिलेंडर पर भी दाम बढ़ाने की छूट दे दी। परिणामस्वरूप जून 2017 में सिलेंडर की कीमत 445 रुपये थी और अप्रैल 2018 में यह बढ़कर 491 रुपये हो गई।
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मंत्री ने दिया था भरोसा
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा था, ‘मैं मानता हूं कि देश के लोगों को और मुख्यतः मध्यम वर्ग के लोगों पर पेट्रोल, डीजल की कीमतों को बुरा असर पड़ा है। भारत सरकार इसका हल निकालने के लिए जल्द ही कोई कदम उठाएगी।’ हालांकि उन्होंने साफ नहीं किया कि इस दिशा में सरकार क्या कदम उठाने जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में और आएगी तेजी
बीते करीब तीन दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई। एक अमेरिकी बैंक ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि अगले साल तक यह कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। तेल की बढ़ती कीमतों के बीच अकसर विपक्ष और जनता की ओर से सरकार से एक्साइज और कस्टम ड्यूटी कम किए जाने की मांग की जाती रही है।