अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के जरिए युवाओं को नौकरी देगी मोदी सरकार
लोकसभा चुनाव से पहले बेरोजगारी का मुद्दा सरकार के लिए चिंता के तौर पर उभरा है। इसे देखते हुए तीन मंत्रालयों- मानव संसाधन विकास, श्रम और कौशल विकास ने अंडरग्रैजुएट्स को प्रशिक्षित करने और उनके लिए रोजगार के मौके पैदा करने के लिए हाथ मिलाया है। यह कार्यक्रम 2019 से शुरू होने वाला है।
‘अप्रेंटिसशिप’ प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी
मोदी सरकार एक मेगा ‘अप्रेंटिसशिप’ प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी में है। इसके तहत प्राइवेट और सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थाओं के उन छात्रों पर फोकस किया जाएगा, जो ह्यूमैनिटीज या गैर-तकनीकी कोर्सेज के स्टूडेंट है। इसका उद्देश्य इन छात्रों को रोजगार के लिहाज से तैयार करना और जैसे ही वे ग्रैजुएट हों, उन्हें जॉब दिलाने में मदद करना है।
6 से 10 महीने तक की अप्रेंटिसशिप
इस मेगा अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम के तहत डिग्री प्रोग्राम्स के फाइनल इयर के स्टूडेंट्स को चुना जाएगा। 6 से 10 महीने तक की अप्रेंटिसशिप और संभावित नियोक्ताओं के यहां ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाएगी, जिस दौरान स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड भी मिलेंगे।
छात्रों को रोजगार पाने में दिक्कत होती है
दरअसल नॉन-टेक्निकल कोर्सेज के छात्रों को रोजगार पाने में दिक्कत होती है। इस सेगमेंट के ज्यादातर छात्र नौकरी पाने में नाकाम रहते हैं, क्योंकि सिर्फ कुछ प्रतिशत छात्र ही पोस्ट-ग्रैजुएशन या आगे की पढ़ाई करते हैं। ऐसे में नॉन-टेक्निकल कोर्सेज के छात्रों की करियर काउंसलिंग की जाएगी और उन्हें अप्रेंटिसशिप के जरिए जॉब-रेडी बनाने की योजना है।
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हाई-क्वॉलिटी अप्रेंटिसशिप सुनिश्चित करने के लिए इस प्रोग्राम से सेंट्रल पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और इंडस्ट्री के दिग्गजों को भी जोड़ा जाएगा। इससे पास करके कॉलेज से निकलने वाले हर छात्र को बेसिक ट्रेनिंग और ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग मिल सकेगी। पिछले हफ्ते इन तीनों मंत्रालयों के मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों ने प्रोग्राम को लेकर अहम बैठक की थी। अगले कुछ दिनों में इस प्रोग्राम को ये मंत्रालय संयुक्त तौर पर लॉन्च कर देंगे।
2019 से लागू होगा ये प्रोग्राम
2019 से लागू होने जा रहे इस प्रोग्राम के टारगेट पर 2019-20 अकैडमिक सेशन में 10 लाख स्टूडेंट होंगे। नैशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, जो करीब-करीब वैसे के वैसे ही पड़े हुए हैं। लिहाजा, इस राशि का इस्तेमाल स्टाइपेंड-बेस्ड अप्रेंटिसशिप के लिए किया जाएगा। ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाले स्टाइपेंड का 25 प्रतिशत या 1500 रुपये तक सरकार वहन करेगी।