सीएए—एनआरसी के घमासान के बीच राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को मोदी सरकार ने दी मंजूरी
देशभर में नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर मचे घमासान के बीच अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एनपीआर को मंजूरी दे दी गई है। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक इस बार एनपीआर के लिए आंकड़े इकट्ठा करने का काम 1 अप्रैल 2020 से शुरू होगा और 30 सितंबर तक किया जाएगा।
देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा
नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। कैबिनेट ने इस पूरी कवायद के लिए 8,700 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है। 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाएगा, इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया गया था। अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा।
यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा
नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।
अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है
NPR और NRC में अंतर है। NRC के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं, छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NRC में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।
देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है
बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है। NPR के जरिए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।