टाइटैनिक दिखाने गई पनडुब्बी गुम, लोगों को बचाना अब क्यों है मुश्किल?

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912 में समंदर में डूबे टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए लोगों को ले जाने वाली टाइटन पनडुब्बी रविवार, 18 जून से लापता है. उसे खोजने के लिए अटलांटिक महासागर में तलाशी अभियान चल रहा है. उस पनडुब्‍बी में कुल 5 लोग सवार थे. बताया जा रहा है कि उन लोगों के पास मौजूद सिलेंडर्स का ऑक्‍सीजन खत्‍म होता जा रहा है.उन्‍हें नहीं खोजा गया, तो उनकी जान चली जाएगी

समय के साथ-साथ उम्मीद भी बीत रही…

दरअसल, 18 जून को जहाज का मलबा दिखाने 05 लोगों को लेकर समंदर में गई टाइटन नामक पनडुब्बी गुम हो गई. कंट्रोल रूम से उसका संपर्क टूट गया. फिर सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. कई देशों की नौसेना और कंपनियां उन्हें ढूंढ़ने में जुटी है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भी ऑपरेशन पर नज़र बनाए हुए हैं. लेकिन अभी तक उसका कोई निशान नहीं मिला है. समय के बीतने के साथ-साथ उम्मीद भी बीत रही है. टाइटन गोलाकार कैप्सूल की तरह दिखती है. इसे समंदर के अंदर चलने और सर्वाइव करने के लिए बनाया गया है. हालांकि, टाइटन में अब कुछ ही घंटों का ऑक्सीजन बचा है. अगर उससे पहले लोगों को नहीं निकाला गया. तो उनके बचने की उम्मीद घट जाएगी. आशंका ये भी जताई जा रही है. कि ये घटना भी टाइटैनिक की तरह महज एक रहस्य बन सकती है.

ऑक्सीजन का स्टॉक लगातार खत्म…

बता दे कि पनडुब्बी जहां ग़ायब हुई है, वहां से खटखटाने की आवाज़ बहुत देर तक आई. इसके बाद सर्च ऑपरेशन को उसी एरिया में शिफ़्ट कर दिया गया. लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा है. पनडुब्बी में ऑक्सीजन का स्टॉक लगातार खत्म हो रहा है. 22 जून यानि कि आज इसकी डेडलाइन है. अगर उससे पहले तलाश पूरी नहीं हुई तो लोगों का बचना नामुमकिन होगा।

दो घंटे से भी कम समय में टुटा संपर्क…

नडुब्बी को जहाज पोलर प्रिंस ने रविवार को समुद्र में उतारा था. लेकिन एक घंटा 45 मिनट बाद ही जहाज से उसका संपर्क टूट गया. पनडुब्बी अमेरिकी तट से 900 नॉटिकल माइल्स दूर Cape Cod  के पूर्व में लापता हुई. रविवार को पनडुब्बी के कमांड शिप पोलर प्रिंस ने अमेरिकी तट रक्षक बलों को बताया गया. कि उनका संपर्क पनडुब्बी से टूट गया है. इसके बाद अमेरिका ने पनडुब्बी की खोज के लिए एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया है जो अब तक जारी है

अरबपतियो के शहज़ादे सवार..

पाकिस्तानी अरबपति शहज़ादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान. ब्रिटिश उद्योगपति हामिश हार्डिंग. ओशनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश और फ़्रांसीसी खोजी पॉल आनरी नार्जेलेट. हामिश हार्डिंग एक जाने-माने खोजी हैं. वो अंतरिक्ष तक जा चुके हैं और उनके नाम तीन गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स भी हैं.

रोबोट के जरिए हो रही खोज…

बता दें कि जिस लापता पनडुब्बी को खोजा जा रहा है, वो एक टूरिस्ट पनडुब्बी थी, जिसे ‘टाइटन’ कहा जाता था. उसने कई दिनों पहले अटलांटिक महासागर में लोगों को टाइटैनिक का मलबा दिखाने के लिए समुद्र के हज़ारों मीटर नीचे गोता लगाया था. मगर, रविवार से उसका संपर्क टूट गया. अब उसे खोजने में पानी के अंदर चलने वाले रोबोट्स की मदद ली जाएगी, उन्‍हें अंडरवॉटर रोबोट कहते हैं. समुद्र की गहराइयों में काम करने वाली ब्रितानी एक्सपर्ट कंपनी मैगलेन ने कहा कि वो उस पनडुब्बी को खोजने में मदद कर रही है।

पनडुब्बी 22 फीट लंबी और 9.2 फीट चौड़ी…

गायब हुई पनडुब्बी का नाम टाइटन है। इसका बाहरी आवरण पर लगी खिड़की टाइटेनियम की बनी हुई है. टाइटन पनडुब्बी 22 फीट लंबी और 9.2 फीट चौड़ी है। इस पनडुब्बी का वजन 10432 किलोग्राम है। इसके अलावा इस पनडु्ब्बी में सवार यात्रियों के लिए 96 घंटे का ऑक्सीजन भी होता है। यह पनडुब्बी गोता लगाने के 45 मिनट के भीतर ही गायब हो गई थी। इस पनडु्ब्बी के अगले हिस्से में 380 एमएम का एक्रेलिक व्यूपोर्ट लगा हुआ है। इसके अलावा टाइटन पनडुब्बी के आगे के ऊपरी हिस्से में कैमरे भी लगाए गए हैं। ये कैमरे पनडुब्बी के अंदर बैठे लोगों को शानदार व्यू मुहैया कराते हैं।

इलक्ट्रॉनिक्स उपकरण भी लगे हुए…

टाइटन पनडुब्बी के अगले हिस्से में एक टॉयलेट भी होता है. जिसमें प्राइवेसी के लिए दरवाजे की जगह पर्दा लगा हुआ है. इसमें चार इलेक्ट्रिक थ्रस्टर्स लगे हुए हैं. जिनमें दो वर्टिकल और हॉरिजेंटल हैं. ये थ्रस्टर्स पनडुब्बी को आगे-पीछे और ऊपर-नीचे जाने में मदद करते हैं. इस पनडुब्बी के पीछे के हिस्से में ऑक्सीजन टैंक और इलक्ट्रॉनिक्स उपकरण लगे हुए हैं। बड़ी बात यह है कि इस पनडुब्बी को चलाने के लिए पायलट एक गेम कंट्रोलर का इस्तेमाल करता है।

17 साल से ऊपर के लोग कर सकते है सफर…

मीडिया रिपोटों के मुताबित, पूरी ट्रिप आठ दिनों की है. इस दौरान कई बार डुबकी लगवाई जाती है. टाइटैनिक का मलबा अटलांटिक सागर में लगभग चार हज़ार मीटर नीचे है. हर एक डुबकी में लगभग आठ घंटों का वक़्त लगता है. एक बार डुबकी लगाने के बाद ये पानी में 96 घंटों तक रह सकती है. 17 साल से ऊपर के लोग इसका टिकट ले सकते हैं. एक टिकट की कीमत लगभग दो करोड़ रुपये है. इसको बाहर से किसी दूसरी पनडुब्बी या सतह पर मौजूद जहाज से कंट्रोल किया जाता है. टाइटन को पोलर प्रिंस नाम के दूसरे जहाज से सपोर्ट मिल रहा था।

तलाशी अभियान में कई दिक्कतें…

जेमी फ्रेडरिक के मुताबिक इस तलाशी अभियान में कई दिक्कतें आ रही हैं. जैसे कि जहां पनडुब्बी खोई है वह किसी भी तट से बेहद दूर है. इसके अलावा कई देशों की एजेंसियों के साथ समन्वय करना पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि समुद्र की गहराई में आवाजें सुनाई दी हैं. जिनका विश्लेषण किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक सिर्फ नकारात्मक परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और सही दिशा में खोज करते रहना होगा।

कॉन्ट्रैक्ट के जरिए आगाह…

एक रिपोर्ट के अनुसार, उस पनडुब्‍बी में पहले कभी सफर करने वाले शख्‍स माइक रीस ने बताया है. कि जो लोग उसमें सवारी करते हैं. उन्‍हें पहले ही एक कॉन्ट्रैक्ट के जरिए आगाह कर दिया जाता है. कि उसकी सेवा तभी लें, जब जान के ख़तरों से वाकिफ हों. माइक रीस ने कहा, ”वो एक ऐसी पनडुब्‍बी है. जिसमें सवार होने से पहले आप एक दस्तावेज पर दस्तख़त करते हैं. जिसके पहले ही पन्ने पर तीन बार मौत या मारे जाने का जिक्र है. माइक के मुताबिक, उन्‍होंने पिछले साल ही उस पनडुब्बी से यात्रा की थी. उनका कहना है कि उन्हें अब बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं है. यानी, उन्‍हें भी डर है कि अब टाइटैनिक का मलबा देखने गए लोगों की जान न चली जाए।

कितनी गहराई में है टाइटैनिक का मलबा…

टाइटैनिक का मलबा समुद्र की सतह से 12,500 फीट की गहराई में है. सूरज की रोशनी समुद्र के पानी में महज 660 फीट तक हीही जा सकती है. स्कूबा डाइविंग के लिए लोग 130 फीट गहराई तक ही जाते हैं. समुद्र में अब तक का सबसे गहरा अंडरवाटर रेस्क्यू 1,575 फीट की गहराई में किया गया… इसे ऐसे भी समझ सकते हैं. कि टाइटैनिक का मलबा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से भी साढ़े चार गुना ज्यादा गहराई में है।

विशाल और आलीशान जहाज…

टाइटैनिक अपने समय के सबसे विशाल और आलीशान जहाज ‘टाइटैनिक’ का संभवत: इकलौता उपलब्ध वीडियो है. तारीख़, 02 अप्रैल 1912. टाइटैनिक को मौजूदा समय में आयरलैंड की राजधानी बेलफ़ास्ट से इंग्लैंड के साउथेम्पटन के लिए रवाना किया जा रहा है. साउथेम्पटन के बंदरगाह पर इसमें 22 सौ से अधिक लोग सवार हुए. इनमें दुनिया की कुछ सबसे चर्चित हस्तियां भी थीं. उनकी मंज़िल लगभग साढ़े 05 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर बसा अमेरिका का न्यू यॉर्क शहर था. लेकिन सफ़र की शुरुआत में ही टाइटैनिक बर्फ की चट्टान से टकरा कर ओझल हो गई. हादसे में डेढ़ हज़ार से अधिक लोग मारे गए. जो बच गए, उनके पास रह गई कहानियां. दुनिया के हिस्से में आया, कुछ अनसुलझा रहस्य. मसलन, सबसे बड़ा और अजेय कहा जाने वाला जहाज डूबा कैसे? उसका मलबा कहां गया? और, क्या टाइटैनिक बनाना एक भूल थी?

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