मप्र के मंत्री की याचिका पर फैसला सुरक्षित, दिया अयोग्य करार

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा(Narottam Mishra) द्वारा दायर एक याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा। नरोत्तम मिश्र ने याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा अपने को अयोग्य करार दिए जाने को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने मिश्रा, निर्वाचन आयोग और शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती के वकीलों की बहस सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित कर लिया।

निर्वाचन आयोग ने 23 जून को नरोत्तम मिश्रा को 2008 के विधानसभा चुनावों में अपने चुनावी खर्च में पेड न्यूज पर किए गए खर्च का खुलासा नहीं करने पर अयोग्य करार दिया और उन पर तीन साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को मिश्रा को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से किसी तरह की अंतरिम राहत नहीं मिलने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया।

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मंत्री ने शीर्ष अदालत का दरवाजा सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा तत्काल सुनवाई करने की मांग को लेकर खटखटाया, जिससे कि वह 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग ले सकें।शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले के नतीजे का ‘महत्वपूर्ण असर’ होने वाला है कि क्या मिश्रा राज्य विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे और राष्ट्रपति चुनाव में वोट दें पाएंगे।

मध्य प्रदेश का विधानसभा सत्र 17 जुलाई को शुरू होगा और इसी दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने मिश्रा को अयोग्य करार देते हुए कहा कि वह पेड न्यूज के खतरे को लेकर चिंतित है, जिसने की चुनावी परिदृश्य में खतरनाक रूप ले लिया है।

निर्वाचन आयोग का मिश्रा को अयोग्य करार देने का आदेश कांग्रेस विधायक भारती की 2009 में की गई शिकायत पर आया है। वह 2008 के विधानसभा चुनावों में मिश्रा के खिलाफ दतिया निर्वाचन क्षेत्र से हार गए थे।

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