मानहानि मामले में मेधा पाटकर को 5 महीने की जेल और 10 लाख का जुर्माना, पढ़ें क्या है वीके सक्सेना से जुड़ा ये मामला

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दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की नेता मेधा पाटकर को 2001 में दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए आपराधिक मानहानि मामले में पांच महीने के कारावास 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

10 लाख का लगा जुर्माना

साकेत कोर्ट के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को वीके सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए उन्हें मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया. वीके सक्सेना की ओर से अधिवक्ता गजिंदर कुमार, किरण जय, चंद्रशेखर, दृष्टि और सौम्या आर्य ने अदालत में पैरवी की.

वीके सक्सेना ने 2001 में दर्ज कराया था मामला

मेधा पाटकर को 24 मई को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि मामले में अदालत ने दोषी ठहराया था. वीके सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उस समय वह अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे.

वीके सक्सेना ने पाटकर को कड़ी सजा देने की मांग करते हुए कहा था कि वह अक्सर कानून की अवहेलना करती रहती हैं. उन्होंने अदालत में लंबित 2006 के एक अन्य मानहानि मामले का हवाला भी दिया. मानहानि का यह मामला 2000 में शुरू हुआ था. उस समय, पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने के लिए मुकदमा किया था. पाटकर ने दावा किया था कि ये विज्ञापन उनके और एनबीए के लिए अपमानजनक थे.

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इसके जवाब में, सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के दो मामले दर्ज कराए थे. पहला, टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान उनके बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए और दूसरा, पाटकर द्वारा जारी एक प्रेस बयान से जुड़ा था.

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