‘नर्मदा बचाओ’ आंदोलन में मेधा का उपवास दूसरे दिन भी जारी

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मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाए जाने से प्रभावित होने वाले परिवारों का पुनर्वास नहीं किए जाने के विरोध में ‘नर्मदा बचाओ’ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर(Medha Patkar) का बेमियादी उपवास शुक्रवार को दूसरे दिन भी जारी है। वहीं कांग्रेस विधायकों का दल पाटकर के समर्थन और हालात का जायजा लेने के लिए यहां पहुंचा है।

‘नर्मदा बचाओ’ आंदोलन से जुड़े राहुल ने मीडिया को बताया, “मेधा गुरुवार को बड़वानी के राजघाट के पास उपवास पर बैठीं। वह शाम को नर्मदा नदी के दूसरे तट, जो कि धार जिले में आता है, के चिखल्दा गांव पहुंचीं और वहीं उनका उपवास जारी है। चिखल्दा में बड़ी संख्या में विस्थापित भी जमा हैं।”

ज्ञात हो कि नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट को गुरुवार को अलसुबह प्रशासन ने तोड़कर अस्थि कलश को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था। इसका लोगों ने विरोध भी किया था। अस्थाई तौर पर अस्थि कलश को अभी तंबू में रखा गया है।

ज्ञात हो कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की उंचाई 138 मीटर की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई से पहले डूब क्षेत्र में आने वाले मध्य प्रदेश के 192 गांवों और एक नगर के निवासियों का पुनर्वास करने के निर्देश दिए हैं।

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मेधा का आरोप है, “राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में गलत आंकड़े पेश किए और झूठी जानकारी दी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। बांध की उंचाई बढ़ने से मध्य प्रदेश का बड़ा हिस्सा डूब में आने वाला है, सरकार जहां पुनर्वास करने की बात कह रही है, वहां कीचड़ है, चलना मुश्किल है। खानापूर्ति के लिए टिनशेड लगा दिए गए हैं। किसी तरह की सुविधा नहीं है। इंसान और मवेशी कैसे रहेंगे, यह सवाल है।”

मेधा का आरोप है, “सरकार ने जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी है, लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। जिस तरह रात के अंधेरे में राजघाट को ध्वस्त किया गया, उसी तरह पुलिस रात में ही डूब क्षेत्र में लोगों के मकान और गांव खाली कराएगी।”

सरदार सरोवर बांध के चलते डूब क्षेत्र में आने वाले प्रभावितों से मिलने शुक्रवार को कांग्रेस के विधायकों का दल प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नेतृत्व में बड़वानी पहुंचा है।

कांग्रेस ने मेधा के उपवास का समर्थन करते हुए कहा है, “मध्य प्रदेश सरकार अपने प्रदेश की जनता की परवाह किए बिना गुजरात सरकार के हित में काम कर रही है। बांध का पानी गुजरात को मिलेगा और तबाही मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी को झेलनी पड़ेगी। राज्य सरकार को चाहिए कि वह पुनर्वास के लिए एक वर्ष का समय सर्वोच्च न्यायालय से और मांगे।”

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