बहन जी को मिला जिग्नेश मेवाणी का साथ

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बसपा सुप्रीमो मायावती को गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का साथ मिल गया है। 2019 को लोक सभा चुनाव से पहले न जाने कितने सियासी रंग देखने को मिलते है। कभी एक दूसरे को कोसने वाले दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने मायावती को लोकसभा चुनाव में साथ देने की घोषणा कर दी है। इतना ही नहीं जिग्नेश ने मायावती को अपनी बहन मान लिया है।

रोकने के लिए इस तरह की कोशिशें तेज हो गई हैं

इतना ही नहीं, उन्होंने बीएसपी के धुर विरोध में उभरी भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण को भी साथ लाने का दावा किया है। हालांकि, अभी बीएसपी या भीम आर्मी ने एक साथ आने का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ दलित वोटों का बिखराव रोकने के लिए इस तरह की कोशिशें तेज हो गई हैं।

मायावती ने गठबंधन की राजनीति का ऐलान किया

2014 के लोकसभा और 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के वक्त अकेले चुनाव मैदान में उतरी बीएसपी की मुश्किलें बढ़ती गईं। जहां एक ओर लोकसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली और विधानसभा में मात्र 19 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद मायावती ने गठबंधन की राजनीति का ऐलान किया। मायावती ने उपचुनावों में समाजवादी पार्टी (एसपी) का साथ देकर एक प्रयोग किया, जो सफल भी रहा।

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गोरखपुर, फूलपुर में एसपी का सीधे समर्थन दिया, तो कैराना और नूरपुर में भी बीएसपी का अप्रत्यक्ष समर्थन समाजवादी पार्टी के साथ ही रहा। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। इस प्रयोग के बाद मायावती अब लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के मिशन में जुट गई हैं।

चुनौती दलितों में उभर रहे क्षेत्रीय क्षत्रप भी हैं

इस मिशन के तहत वह अपने 21 फीसदी वोटों की ताकत दिखाकर ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की जुगत में लगी हुई हैं। दरअसल, बीएसपी सुप्रीमो मायावती मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होनेवाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देकर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी नींव मजबूत करने में लगी हुई हैं। मायावती के इस मिशन में बड़ी चुनौती दलितों में उभर रहे क्षेत्रीय क्षत्रप भी हैं।

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर बने हुए हैं

पिछले विधानसभा चुनाव में और उसके बाद से मायावती की सबसे बड़ी मुश्किल भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर बने हुए हैं। गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी चंद्रशेखर के काफी करीब रहे हैं और उस समय वह भी मायावती के विरोध में थे।

अचानक जिग्नेश के रुख में हुआ बदलाव मायावती के लिए राहत की बात है। सूत्रों का कहना है कि यह कांग्रेस से मायावती की करीबी का भी असर हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक दलित सम्मेलन में जिग्नेश ने कहा, ‘मायावती मेरी बहन हैं। मोदी से उनका कोई संबंध नहीं है। मैं और चंद्रशेखर, मायावती के दाएं और बाएं हाथ हैं। हम दोनों साथ खड़े हो गए तो बीजेपी का कहीं पता भी नहीं चलेगा।’

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