…तो क्या जांचों की चपेट में आएगा महागठबंधन ?

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लोकसभा चुनाव-2019 में होने वाले महागठबंधन को लेकर दिल्ली में शुक्रवार को हुई माया-अखिलेश की मुलाकात के अगले दिन ही अवैध खनन को लेकर दिल्ली और यूपी में पड़े सीबीआई छापों ने यूपी की सियासत को गरमा दिया है।

सत्ता के गलियारों और यूपी की ब्यूरोक्रेसी में चर्चाएं गरम हो गई हैं कि क्या जांचों की सियासत नए राजनीतिक संबंधों की सियासत पर भारी पड़ेगी।

जांचों का यह दबाव महागठबंधन में गांठें डालेगा या उसे और मजबूत बनाएगा, क्योंकि यूपी में माया और अखिलेश की सरकार में हुए घोटालों और जांचों की लंबी फेहरिस्त है। इन जांचों की आंच दोनों दलों के कई प्रमुख नेताओं तक पहुंच रही है। तय माना जा रहा है कि चुनावों से पहले केंद्र और राज्य सरकार भ्रष्टाचार की इन जांचों के सहारे महागठबंधन को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे।

अखिलेश यादव के पास ही खनन विभाग था

सीबीआई की छापेमारी में तत्कालीन खनन मंत्री के रूप में जांच की आंच अखिलेश तक भी पहुंचेगी। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि वर्ष 2012 से 2016 तक जो खनन मंत्री रहा उसकी भी गहन विवेचना होगी। इस दौरान अखिलेश यादव के पास ही खनन विभाग था। इसके साथ ही मुलायम परिवार के एक और करीबी की भी भूमिका जांच के घेरे में आना तय है।

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सीबीआई जांच में तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की डायरी का हिसाब कई बड़ों को महंगा पड़ सकता है। दरअसल सीबीआई को गायत्री से जुड़ी एक डायरी के बारे में जानकारी मिली थी, जिसमें उसने कई बड़ों के साथ हुए लेन-देन का पूरा हिसाब रखा हुआ था। अवैध खनन की जांच के दौरान उनकी यह डायरी चर्चा का विषय बनी हुई थी।

इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं

एनआरएचएम घोटाला- माया सरकार के कार्यकाल में हुए हजारों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई बीएसपी प्रमुख मायावती तक से 2 अक्टूबर 2015 को दिल्ली स्थित आवास जाकर दो घंटे तक पूछताछ की थी। इस मामले में माया सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और आईएएस प्रदीप शुक्ला समेत कई बड़ों को जेल जाना पड़ा। अभी भी इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं।

यूपीपीएससी भर्ती घोटाला- एसपी सरकार के कार्यकाल में हुई इन भर्तियों की जांच भी सीबीआई कर रही है। जांच में एसपी नेतृत्व के करीबी अनिल यादव पर शिकंजा कसा जा रहा है। हालांकि कुछ समय पहले जांच से जुड़े एसपी राजीव रंजन का तबादला होने से इसकी रफ्तार थम गई है, लेकिन चुनावों से पहले इसके फिर से तेजी पकड़ने के आसार हैं।

रिवर फ्रंट घोटाला- अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में हुए इस निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। सुस्त रफ्तार से चल रही इस जांच के भी तेजी पकड़ने की उम्मीद है। ईडी भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत जांच कर रही है। इसमें तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के कई करीबियों और निर्माण करने वाली एजेंसियों के मालिकों से पूछताछ हो चुकी है।

सीबीआई जांच को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई थी

यादव सिंह घोटाला- यादव सिंह द्वारा किए गए घोटाले में एसपी और बीएसपी दोनों के बड़े नेताओं की गर्दन फंस रही है। मामले में पूर्व सीएम मायावती के भाई आनंद और उनकी पत्नी सीबीआई के निशाने पर हैं। साथ ही एसपी के नेता प्रफेसर राम गोपाल यादव के बेटे-बहू पर भी सीबीआई जांच का शिकंजा कस सकता है। एसपी सरकार इस मामले की सीबीआई जांच को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई थी।

जवाहर बाग कांड- मथुरा में हुए इस कांड की जांच भी सीबीआई कर रही है। अवैध कब्जे वालों के हमले में मथुरा के तत्कालीन एएसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक एसएचओ की मौत हो गई थी। इस मामले में मुलायम परिवार के दो बड़े नेताओं की भूमिका पर सवाल उठे थे। तय है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उसकी आंच इन बड़ों तक भी पहुंचेगी।

पूर्व सीएम मायावती के लिए भी परेशानियां खड़ी कर सकती हैं

स्मारक घोटाला- माया सरकार में स्मारकों के निर्माण में हुए अरबों के घोटाले की विजिलेंस और ईडी जांच कर रहे हैं। इन मुकदमों में फंसे माया सरकार के दोनों पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी बागी हो चुके हैं। अगर जांच की आंच उन तक पहुंचेगी तो वे पूर्व सीएम मायावती के लिए भी परेशानियां खड़ी कर सकती हैं।

वक्फ बोर्ड, चीनी मिल घोटाला- वक्फ बोर्ड घोटाला, चीनी मिल घोटाला की भी सीबीआई जांच की सिफारिश हो चुकी है। हालांकि सीबीआई ने इन दोनों ही मामलों में अभी तक केस दर्ज नहीं किया है। वक्फ बोर्ड घोटाले की जांच एसपी के कद्दावर नेता आजम खां तक पहुंच सकती है। यूपी में एसआईटी भी आजम खां से जुड़े दो मामलों की जांच कर रही है। इसमें एक मामला एसपी सरकार में हुई जल निगम की भर्तियों से जुड़ा है। दूसरा उनकी जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है।

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