Martyrs’ Day: इसलिए आज भी मनाया जाता है शहीद दिवस
Martyrs’ Day: भारत वर्ष में प्रतिवर्ष दो बार शहीद दिवस मनाया जाता है. ये खास तारीखें 30 जनवरी और 23 मार्च हैं. 23 मार्च यानी आज ही 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ाया था. इस साल इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों की मृत्यु को 93 वर्ष पूरे हो गए हैं. इनके बलिदान को याद करते हुए ही आज के दिन को शहीद दिवस घोषित किया गया. लेकिन, भारत में कई शहीद दिवस मनाए जाते हैं जिनमें 30 जनवरी भी शामिल है. 30 जनवरी के दिन ही महात्मा गांधी की हत्या की गई थी जिसके बाद से इस दिन को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
इनका बदला लेने की थी ठानी
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ब्रिटिश राज के खिलाफ थे और भारत को स्वतंत्र कराना चाहते थे. तीनों ने लाला लाजपत राय के बलिदान का बदला लेने की ठानी. इन्हें अंग्रेजों की हुकुमत ने अलग-अलग मामलों के तहत गिरफ्तार किया जिसमें ब्रिटिश पुलिस अफसर जोह्न सोंडर्स की हत्या का इल्जाम भी शामिल था. असल में साइमन के लाहौर आने के बाद लाला लाजपत राय ने ‘साइमन गो बैक’ स्लोगन के साथ शांतिपूर्ण धरना करना शुरू किया था.
इस पर जेम्स स्काट के आदेश पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें घायल होने पर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद ही तीनों ने जेम्स स्कॉट की हत्या षडयंत्र रचा लेकिन पुलिस अफसर जाान सांडर्स की हत्या हो गई. इसके अलावा, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ब्रिटिश कालीन केंद्रीय विधानसभा पर हमले का प्लान बना रहे थे जो पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट के खिलाफ था. बम फोड़ने की योजना 8 अप्रेल, 1929 के दिन निर्धारित की गई जिसमें तीनों को गिरफ्त में ले लिया गया और 23 मार्च, 1931 में फांसी के फंदे पर लटकाया गया.
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तो यह है दोनों दिवसों में भिन्नता
गणतंत्र दिवस के बाद देश शहीद दिवस मनाता है और इस मौके पर शहीद जवानों को नमन करता है. 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है. हालांकि कुछ लोग शहीद दिवस को लेकर असमंजस में रहते हैं. भारतमें साल में दो बार शहीद दिवस मनाया जाता है. एक जनवरी में और दूसरा मार्च में मनाते हैं. 30 जनवरी को ही महात्मा गांधी की हत्या कर दी गयी थी.इसलिए इस दिन को भी शहीद दिवस का दर्जा दिया गया.