किसी के सिर दोष मढ़ने का सरकार पर जुनून सवार -मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मंदी की वजह से महाराष्ट्र पर असर पड़ा है। ऑटो हब बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हर तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। उन्होंने कहा कि आज किसानों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। निवेशक महाराष्ट्र को छोड़कर अन्य राज्यों में शिफ्ट हो रहे हैं।
अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की
बता दें कि पिछले महीने भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातर बिगड़ रही है, मगर सरकार इस पर जरा भी गंभीर नहीं है। आने वाले दिनों में हालात किस हद तक खराब हो सकते हैं, सरकार को इसका अहसास तक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में तत्काल जरूरी कदम उठाने चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पलटवार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बैंकों की खस्ता हालात के लिए जिम्मेदार बताए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पलटवार किया। मनमोहन सिंह ने कहा कि किसी के सिर दोष मढ़ने का सरकार पर जुनून सवार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक सुस्ती, सरकार की उदासीनता से भारतीयों के भविष्य और आकांक्षाओं पर असर पड़ रहा है। निचली मुद्रास्फीति की सनक से किसानों पर संकट, सरकार की आयात-निर्यात नीति से भी समस्यायें खड़ी हो रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भर में कारोबारी धारणा काफी कमजोर, कई इकाइयां बंद हुईं। भाजपा सरकार सिर्फ विपक्ष पर दोष मढ़ने में जुटी है और समाधान ढूंढ़ने में असफल हो गई।
सीतारमण ने बैंकों की हालत के लिए मनमोहन और राजन को जिम्मेदार ठहराया था
बता दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौर को जिम्मेदार ठहाराया था। उन्होंने कहा था कि मनमोहन सिंह और राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए ‘सबसे बुरा दौर’ था। सीतारमण ने मंगलवार को कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में एक व्याख्यान में कहा कि सभी सार्वजनिक बैंकों को ‘नया जीवन’ देना आज मेरा पहला कर्तव्य है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं रघुराम राजन का एक महान विद्वान के रूप में सम्मान करती हूं। उन्हें उस समय केंद्रीय बैंक में लिया गया जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के दौर में थी।’
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