मंडुवाडीह से बनारस तक का सफर, तीन साल में एयरपोर्ट की तरह दिखने लगा ये स्टेशन
वाराणसी के मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस कर दिया गया है। काशीवासियों को इस लम्हे का इंतजार लंबे समय से था। तत्कालीन रेलमंत्री मनोज सिन्हा ने पहली बार मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलने के लिए मजबूत पहल की थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिर्फ तीन सालों में ही एक बदहाल स्टेशन को मनोज सिन्हा ने देश के सबसे चमकते-दमकते स्टेशन में तब्दील कर दिया। अब किसी एयरपोर्ट की तरह दिखता है मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन।
नाम बदलने के लिए मनोज सिन्हा ने सीएम को लिखा था पत्र
ऐसा माना जाता रहा है कि मांडवी ऋषि के नाम पर मंडुवाडीह स्टेशन का नाम पड़ा था। तीन साल पहले लोकसभा चुनाव के दौरान इस नाम को बदलने का ऐलान तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने किया था। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा था। काशीवासियों की ओर से लंबे समय से की रही मांग पूरी हो गई है। पूर्वोत्तर रेलवे के आदर्श स्टेशनों में शुमार मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बनारस रखने का प्रस्ताव साल भर पहले अगस्त 2019 में तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह ने शासन को भेजा था। गृह मंत्रालय ने सोमवार को नाम बदलकर बनारस किए जाने का आदेश जारी कर दिया।
अब ऐसा दिखता है मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन
एयरपोर्ट सरीखी सुविधाओं से लैस मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर कुल आठ प्लेटफॉर्म हैं। वाराणसी-नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस, ग्वालियर के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेस, खजुराहो के लिए लिंक एक्सप्रेस सहित आधा दर्जन प्रमुख ट्रेनों का संचालन इसी से होता है। कोरोना काल में सिर्फ शिवगंगा एक्सप्रेस का संचालन किया जा रहा है।
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