मकर संक्रांति के पहले ही फिजा में तैरने लगी गजक की खुशबू, जानें इस बार क्या है खास

मकर संक्रांति को लेकर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार

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वाराणसी: मकर संक्रांति का दिन हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. लोग गंगा स्नान, दान, ध्यान और पूजा जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं. इस दिन सूर्य के मकर राशि में चला जाता है, इसी क साथ ही गर्म दिनों के आगमन और ठंड का धीरे-धीरे विदाई माना जाता है. संक्रांति का अर्थ है सूर्य का परिवर्तन और मकर संक्रांति साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण है. इस दिन भगवान भास्कर की पूजा का विधान है. मकर संक्रांति को लेकर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार सज चुके है. बदलाव के दौर में पारंपरिक ढुंढा-पट्टी भी नए बदलाव से गुजर रहा है.

 

इम्यूनिटी बूस्टर और शुगर फ्री गजक की मांग

इम्यूनिटी बूस्टर और शुगर फ्री गजक भी अब धीरे-धीरे बाजार का हिस्सा बनते जा रहे हैं और लोगों में इनकी मांग भी है. इन गजकों के दाम भी आम गजक से 30 से 40 फीसदी ज्यादा है. ड्राई फूड देसी घी गजक, तिल मावा बाटी, पंचरत्न बर्फी, मावे की गजक, साबुत तिल्ली के लड्डू, गुड की गजक, चीनी की गजक, तिल पपड़ी, तिल के लड्डू, मूंगफली चिक्की, काजू गजक जैसी वेराइटी इसमें उपलब्ध है. सर्दी बढ़ने के साथ ही बाजार में गजक और तिल के लड्डूओं की डिमांड भी बढ़ गई है. तिल से तैयार उत्पादों की बाजार में महक लोगों को खींच रही है.

बनारस में बनने वाले तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास प्रदेश के अन्य जिलों में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों और विदेश तक पहुंचती है. बंगीय, गुजाराती और मराठी समाज के लोग विदेश में रहने वाले अपने परिजनों को तिल से बने उत्पाद खासतौर पर भेजते हैं. इनके भाव पिछले साल से 20 प्रतिशत बढ़ चुके हैं. छोटे और बड़े दुकानों की बात की जाए तो गजक और तिलपट्टी की 200 से ज्यादा दुकानें हैं. गुड मूंगफली की पट्टी लोग खासतौर पर पसंद करते हैं. व्यापारी बताते हैं कि एक सीजन में करीब दस से पंद्रह हजार किलो गुड़ और तिल से बने व्यंजन की बिक्री हो जाती है.

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क्या कहता है ज्याेतिष विज्ञान…

वर्तमान सदी में यह त्यौहार जनवरी महीने के 14 या 15 दिन में ही पड़ता है. इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति का पर्व ठंड में पड़ता है और ठंड में हमारे शरीर में कफ की मात्रा भी बढ़ जाती है और त्वचा भी रूखी हो जाती है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण में हो जाते हैं. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार माना जाता है तिल को शनि से संबंधित वस्तु मानी जाती है तो वही गुण को सूर्य देव से संबंधित माना जाता है, तिल और गुड़ का मिलन सूर्य और शनि के मिलन का प्रतीक माना जाता है.

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इसलिए लड्डू को परिवार में बनाने और खाने का बहुत लाभ माना जाता है तिल और गुड़ से बने लड्डू भेंट करने से सूर्य देव को प्रसन्न करना भी माना जाता है. जिस समय मकर संक्रांति का त्यौहार आता है उस समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड होती है. जरूरतमंद लोग इस ठंड के प्रभाव से प्रभावित होते हैं. ऐसे में गुड़ और तिल दोनों की तासीर गर्म होने से लोग इसे पसंद करते हैं. दोनों ही चीज सर्दी के प्रभाव से बचने में जरूरतमंद मानी जाती है. इसे खाने से शरीर में गर्माहट उत्पन्न होती है. त्यौहार के अवसर पर इसलिए इसे बनाकर खाया जाता है.

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